आपेक्षिकता की मूल संकल्पनाएँ | Aapekshikta Ki Mul Sankalpnaye

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Book Image : आपेक्षिकता की मूल संकल्पनाएँ  - Aapekshikta Ki Mul Sankalpnaye

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यास्तविक घटना श्र प्रे क्षित घटना 23 जो वस्तुनिष्ठ श्रवरिष्ट गुणों पर श्राघारित थे भौर प्रचलित तियमों के भी लगभग अनुकूल ये। जहा जहा आदस्टाइन के नियम प्रचलित नियमा प्रतिकूल थे वे सभी प्रेषणा व अ्रयुतूत लिद्ध हुए हैं । यदि भौतिक ससार में काइ सत्य न हाता तो यह एक्मान विभिन च्यवितया द्वारा देखे गए स्वप्न जमा हो हाता ओर उसमे एस नियमा वा हाना सम्भन मे हौता जिनसे हम एक व्यक्ति प॑ स्वप्न शौर दूसर व्यवित के स्वप्न म सम्बप स्थापित कर सर्वे । एक व्यवित के प्रत्यक्ष पान और दूसरे व्यवित के (लगभग) समक्षणिक प्रत्यक्ष ज्ञान म निकट सम्बंध होने से ही यह विश्वास हो जाता है कि विभिन्‍न सम्बाीधित ध्रत्यक्ष नान का एक ही वाद्य स्नोत हाना चाहिए। एक ही” घटना के बार म भिन व्यक्तिया के प्रत्यक्ष चाना म जो समानताएँ और भेद हैं उहू भोतिबों वी सहायता स समझा जा सबता है। व ठीक बस नहीं हैं जमा वि हम उह मानत आए हैं वयोक्रि यदि भ्रलंग अलग दखा जाए तो न तो दिक और न वाल ही पूणत उस्तुनिप्ठ हे। इन दोनो का मिश्रण दिशलाल वस्थुनिष्ठ हैं। इसको समभाना सरल नही है फिर भी इसके लिए प्रयत्न करना चाहिए। थह हम प्रगले ग्रध्याय म भ्रारम्म करेंगे ।




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