आधुनिक यूरोप का इतिहास | Aadhunik Yurop Ka Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Aadhunik Yurop Ka Itihas by विद्याधर महाजन - Vidyadhar Mahajan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विद्याधर महाजन - Vidyadhar Mahajan

Add Infomation AboutVidyadhar Mahajan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
फ्रास ऋतित से पूव का यूरोप श्र वा त्तीमशा विभाजन टुश्ना । इस विभाजन में रूस को गंतीसिया और डुता का बृराई के बीच जगमग २ ००० वगभील का क्षेत्र प्राप्त हुआ । आस्टिया वा ग्ेकेतिया वा जप प्रदेश तथा श्ैेशो वा लगभग १ ००० वगमील का क्षत्र प्राप्त त्मा। प्रश्चा बी वारसा तथा बंग और डेनीपर नक के बीच का लगभग ७०० दशमील वा प्रदेश मिला । जनवरी १७६७ वी एक्साघिक प्रनुसार रूस, झाम्ट्रिया और प्रशिया से [मलबर यह घापणां दी वि “पोलण्ड क॑ राज्य वा याद दिलाने बाजी सव वस्तुओा को नप्ट बर दता आवश्यक है । ग्यूडाठा (50०6श7४) के मतानुसार पोलण्ड का विभाजन युरोप की कूटनाति बय एवं घोर लज्जाजनक नया वाय था । यह जज्जाजनक' इसलिए था व्याकि यह अन्तर्राष्टीय सदाचार और “याय के विरुद्ध था। यह नगा इसलिए था म्याति' जिन देशो ने इस लूट मे साझा क्या उह इससे काई बल प्राप्त नहीं हुआ पार्लैण्ड बी जनता ने बभी भी विमाजन को स्वीकार नहीं किया भौर बीसवी शताब्दी म जब तेव जहें स्वत त्रता नहीं मित्री व निरतर घोर सघप वरते हो रह। रूस, प्रतिया और ” आ्रास्टिया तीना के पटा मे पोलण्ड के टुकड़े बिना हजम हुए स्वतत्र बन रहे | पालण्ड , का विभाजन एवं घोर पापाचार का उटाहरण है। क्लु इन महाते शवितया द्वारा पोलण्ड मे हस्तक्षत ने कारण प्रास वी क्राति का सहायता मिली। फ्रास अपनी झताजता वा रक्षा करने मे इंसलिए सफत रहा, वयाकि उसके शत्रु पालएल वे भआमले मे पररुपर विरादी हाने क बारण उसके विछद्ध कोई समुचित कदम नहीं उठा सबते थे । इंदलो ([1४५)--इटलो इस काल में एक भोगोलिक शद था भर यह बहुमख्यक' राज्या मं बटा हुश्ना था। उत्तर मं सवाथ और सारडीनिया व सामत+ चाही राज्य जिनोप्मा श्रोर वेनिस के दा गणतात और मिलान परमसा मांटनों (1४००५८॥४) शोर लुबवा वी चार जागारें थी | द्लिण म दृस्‍्कने वी जागीर राम नेपल्स सिसली का मित्राकर पाप वा राज्य था। १७६६ मे मोसिवा फ्रास न ले लिया था । स्पन के उत्तराधिकार के पश्चात्‌ इटती में स्पेन के स्थान पर प्रास्ट्रिया ने एक प्रभावशाली शवित का स्थान प्राप्त कर लिया। आ्रास्ट्रिया का मिलान पर सर्वा- घिकार सम्पन्न शासन था। सम्राट प्रासिस ने दुस्वने हैथिया रखा था। परमा मोइना प्लौर लुक्वा पर ध्ास्ट्रिया वा बहुत-भा नियंत्रण था। आम्ट्रिया की भुखी आँखें वनिम पर भी लगी थी। यह सत्य है विः इटली के राज्य स्वतत्न थ क्च्ि इसका बाई महत्व नहीं था। वेनिय और जिनाग्ना की शान समाप्त हा चुवी थी । पोष यो जापीरें सारे यूरप म सदस बुरी चासित थी । नपलस बहुत ही पिछड़ा हुमा धा। विःतु दुस्वन समस्त यूराप में सबसे श्रेष्ठ शासित राज्य था। १७३७ म मरिया पिरेसा के पद्ि फ्रासिस बा यह उत्तराधिवार भ मिलो । उसवा काय उसके पृत्र लियोपोल्ड (१७६५ १७६०) न जारी रखा । मुजारे की प्रया समाप्त कर दो गई शोर सामस्ता बे प्रधियार सीमित बरु दिये गए | घमिक यायासुय प्रभा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now