गीत भी अगीत भी | Geet Bhi Ageet Bhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
677 KB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अब सहा जाता नहीं
अब तुम्हारे बिन नहीं लगता कही भी मन--
बताओ क्या करूं ?
नीद तक से हो गई है भाजकल शभ्रनवन-.-
बताझो क्या करें ?
इप भाती है ने भाती छाँव है,
गेह तक लगता पराया गाँव है,
और इसपर रात श्राती है. बहुत बमठन-...
बताओ क्या करूँ ?
चेन है दिन मे न कल है रात भे,
क्योकि चिड-चिडकर ज़रा सी बात मे,
हर खुशी करने लगी है दिन ब दिन अनशन---
बताभ्रो क्या करूँ ?
पर्व हो या तीज या त्यौहार हो,
हो शरद, हेमन्त या पतभार हो, '
ग्ौत भी, भगीत भी २३
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