गीत भी अगीत भी | Geet Bhi Ageet Bhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : गीत भी अगीत भी  - Geet Bhi Ageet Bhi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नीरज - Niraj

Add Infomation AboutNiraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अब सहा जाता नहीं अब तुम्हारे बिन नहीं लगता कही भी मन-- बताओ क्‍या करूं ? नीद तक से हो गई है भाजकल शभ्रनवन-.- बताझो क्या करें ? इप भाती है ने भाती छाँव है, गेह तक लगता पराया गाँव है, और इसपर रात श्राती है. बहुत बमठन-... बताओ क्या करूँ ? चेन है दिन मे न कल है रात भे, क्योकि चिड-चिडकर ज़रा सी बात मे, हर खुशी करने लगी है दिन ब दिन अनशन--- बताभ्रो क्‍या करूँ ? पर्व हो या तीज या त्यौहार हो, हो शरद, हेमन्त या पतभार हो, ' ग्ौत भी, भगीत भी २३




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now