अग्निगर्भ | Agnigahrbh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अग्निगर्भ  - Agnigahrbh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महाश्वेता देवी - Mahashveta Devi

Add Infomation AboutMahashveta Devi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अग्निगर्भ 25 का धर सदर में है। रात पड़ने पर उम्रकी सहायता के लिए बात बदली धार के पास पुल से उप्त पार जाना होता है। उसके बाद तीन मे! चलने पर जगल है। वाह ! काली साँतरा ने समझ से काम लिया है। . देउकी में सोचकर देखा, सवेरा होने के पहले सबर सामन्त को दे देना दोऋ रहेगा। काली साँतरा बहुत देर तक हाकिम के पास बैठकर फ़ोन देखता बाया है) अब उम्रकी मर॒म्मत॒ की जरूरत है। सामन्त वी गुडबुक में रहने की उहूरत है | सभी कहते हैं कि सामन्द रहने जाये हैं, जाने के लिए नहीं आये हैं 4 देखकी मिप्तिर की विवार-पद्धतिं मे साइस-फिक्शन का यंत्र दना कर काली साँतरा का शायद नियत्रण कर लिया है। सदर में लॉरी रोक कर काली साँतरा उतर पडा। एक तो अमावस्या, उस पर मेधावृत्त निशीधिनी के खप्पर मे उसे डालकर 'बावा तारकनाय' , और भी दूर, एक दूसरे सदर को रवाना हुई। काली साँवरा मोदी की . दृकान मे धंघली लालटेन लेकर बेतूल काउरा के धर चला । वेतूल आजकल भजदूर नही है। काली सांतरा की पिता की दी हुई तोस बीघा जमीन थी $ तैतालीस में पार्टी मे शामिल होने के ममय काली साँतरा ने बह शमीन भेज: दूं को दे दी थी । कारण दो तरह के थे। एक था कम्युनिस्ट व्यविति- ग़त मिल्कियत में विश्वास नहीं करते--यह आदर्श ओरो के आगे रखना था। जागुला के दूसरे ऋतिकारी लोगों ने अपनी-अपनी जमीनें रप कर काली साँतिरा को कासाबियात्काः बना दिया । दूसरा था काली ने सपने में भी नहीं सोचा था कि धान ओर उमीन की जरूरत होगी। उसने विश्वास कर लिया था कि क्रांति हो रही है। जल्दी ही देश-भर में कम्यून स्थापित होंगे और काली साँतरा की खाने-रहने की ममस्या मिट जायेगी। काली का का स्वप्न था, अपने छोटे भाई के साथ वेठूल काउरा की वहन का ब्याह कर देगा । काली साँतरा का बाद का जीवन इससे विपैला हो जिन दो आदमियो को उसने जमीन दी थी, वे उसे पागल ने छूटपन में स्कूल में 'मेरा आदर्श मानव! रचना मे बढ़े गया । वेतृल महिय सोचते । छोटे भाई डे भाई की बान तो लक ला अ28300*+--:5-- कप नस क+--> «के 1. वेज्ञानिक कषा-वहानो 2. एक बाह्ाह्ारी पृत्र, जो पिठा की आजा से पसते , जा मे छः जहाड़ पर जल मरा, पर अपने स्थान से हढा नहीं दा 1 ध्




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now