श्री भगवती सूत्रम भाग 9 | Shri Bhagavati Sutram Bhag 9

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Shri Bhagavati Sutram Bhag 9  by घासीलाल जी महाराज - Ghasilal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रवैव्चान्द्रका टीका दा० ९ उ० २ दिकुस्वरूपनिझुपणम डे ध्य्य्य्श्य्य्ल्श्््ख्य्््श्््य्््््य््ख्ं्स्च्य्लच्खख् च्ल्ल्स्च्लच््ल्च्य्््स्ल्ल्टसटलव्ल्य्ल््भस्च््स्य्स्ल्ल्चलयय्च्स्स्स्स्ससस्सससस्स््स्प्स्पस्््स्सि दशभशतकऊस्य प्रथमोदेशकप्य संक्षिप्तविषयविवरणस्‌ पूर्वादिदिशा। दिशानां प्रकारा), दिशानां दश नामानि, ऐन्द्री दिशा जीवरूपा अस्ति इत्यादिसप्नश्न!; आम्मेपीदिशा, याम्यादिशा, नक्रतीवारुणीपरतिदिशाइणनत्‌ , अरीराणां प्रकार, ओदारिकिशरी राणां प्रकार। ॥ अथ प्रथमोद्देशके दिशावक्तव्यता । पलमू-... रायगिहे जाव एव वयासी-किमिय भंते ! पाइणत्ति पवुच्च्‌इ ? गोयमा | जीवा चेव अजीवाचव। किसेये संते! पडीणत्ति पवुच्च॒इ ? गोयमा एवेचेव एवं दाहिणा, एवं उदीणा एवं उड़ा, एवं अहे वि,। कइणं संते दिसाओ पण्णत्ताओ ? सोयसा ! दसदिसाओ पण्णत्ताओ, त॑ जहा-पुरत्थिमा १, पुर- त्थिमदाहिणा २; दाहिणा ३, दाहिणपच्चत्थिमा ४, पच्च- त्थिमा ५, पच्चस्थिसुत्तरा ६, उत्तर ७, उत्तरपुरत्थिम्मा ८, उड्ढा ९, अहे १० । एयापि णं भंते | दसणह दिसाणं कह णास- घेजा पण्णत्ता ? गोयता ? दुसनामघेजा पण्णत्ता, त॑ जहा- इंदा ९, अश्गेयी २, जमाय ३, नेरती ४, वारणीय ०, वायद्चा इस दशवे शनकझके प्रवप्त उद्देशकका संक्षिपत विषय विवरण इस प्रकारसे है-प्र्वांद दिशाओंका कथन दिशाओंके सेदोंका कथन, दि्शाओंके दृश नामॉका कथन ऐन्द्री दिशा पूवं दिशा जीवरूप है क्पा इत्यादि प्रश्ष, आने 7द्शा,घाम्पादिदा, नऋ तोदिदा,आहि दिला ओंका बणन हारीरोंके प्रकारों तथा ओदारिक शरीरों के प्रकारोंका कथन । हशमभा शेततरना पेश हददेशाभा अतिपाहित पिषयतु 2४ पिषरणु-- पूर्षा5 स्शामे।चु ध्थव-विशाओे।ना लेदे।च' इधन-विशाओाना १० नाभे। व , अयन-सेद्री विश ( पू्तों हिशा ) 2 (5१३५ छे ? ? धत्याहि अक्षो जेब अमाशे गायेबी हिश! (जविप्र।७), याभ्या दिशा (इक्षिणु ६िश), नेकत्य, वारुणी। डिश (पर्चिम ६िश ) णाहि ईिशाणावु पुन शरीरेवा प्रशरे।च तथा और शरीरेना अफारे।9' अधन,




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