भैरव पद्मावती कल्प | Bhairav Padmavati Kalp

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Book Image : भैरव पद्मावती कल्प  - Bhairav Padmavati Kalp

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धब्हद्रद252227१८३:८2:%5555 0] 2 भेरब पद्मावती कल्प £ शै ८ (छल ज्जख्ण्क््ज्ण जरा पत्चनमस्कारपदे: प्रत्येक प्रणवपृर्वेद्दोमान्स्ये: । पूर्बोक्तपत्चशुन्येः परमेट्ठिपदाम्रविन्यस्तें: || ३ ॥ शीर्ष बदन हृदय॑ नाभि पादों च रक्षत्‌ रक्षेत्येबम्‌ | कुययादेतेमन्त्री प्रतिदिवस॑ स्वाइविन्यासस्‌ ।। ४ ॥ भा० टी०-फिर पंचनसस्कार मंत्रके पदोंसे प्रत्येकक्की आदिसें और अन्तमें स्वाहा लगाकर, उन नससकार मन्त्रके परमेप्ठि- पदोंके सामने क्रमसे उपरोक्त पांचों शून्य बीजों (हां हीं हं हा हः) को ढगाकर उनमें क्रमसे सिर, मुख, हृदय, नाभि ओर परोंसे चाचक पर्दोंको छगाकर 'रक्ष रक्ष! छगाता हुआ प्रतिदिन अपने अंगोंका न्यास फरे। व णमो अरहन्ताएं हां पद्मौावतिदेवि मम शीपे रघ्ष रक्ष स्वाहा । णमो खिद्धाणं हीं पद्मावत्िदेवि सम बदन रक्ष रक्ष स्वाहा । णस्बों आइरियाणं हु पद्मावतिदेवि मस हृदय रक्ष रक्ष स्वाह्मा। णम्तो उबज्ज्यायाणं हो पद्माचतिदेवि मम नाभि रक्ष रक्ष स्वाहा। णभो छोए सब्बधाहू्ण हृ: पद्माबतिदेवी मम पदो रक्ष रक्ष स्वाहा 56 6 छू ध द्विचतुःपद्चचतुदेशकला भिरन्त्यखवरेण बिन्हुयुतेः । कूटदिग्विन्यस्तें: दिशासु दिग्बन्धनं॑ छुयोौत्‌ ॥ ५॥ भा० टी०-फिर “ का इं ऊ श्री; क्वां्ध्वी क्ष क्षा कप पुर्बाद दिशावन्धन करोमसि! इस मंत्रसे दिशाओंका वन्धन करे। हेमसर्य प्रकातं चतुरखं चिन्तयेत्समुत्त्स । बिंशतिहरतं॑ मंत्री सवस्वरसंयुतेः शुम्ये:॥ ६ ॥




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