भरत बाहुबली महाकाव्यम | Bharat Bahubali Mahakavyam

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Bharat Bahubali Mahakavyam by मुनि दुलहराज- Muni Dulahraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कथावस्तु-- छह खंडों पर विजय प्राप्तकर चक्रवर्ती भरत अ्रयोध्या नगरी में आए । उनका छोटा भाई वाहुवलो बहली प्रदेश का राजा था। वह अ्रभी उनके अनुशासन में तहों आ रहा था। अपनी विजय की श्रपूर्णता को देख. महाराज भरत ने बाहुबली के पास सुवेग नामक दूत को भेजा । वह दूत भ्रत्यन्त वाग्पदु और निपुण था। उसने अ्रयोध्या से तक्षशिला को ओर प्रस्थान किया। मार्ग में उसे अनेक प्रकार के अ्रतुभव हुए । बहली प्रदेश की जनता, वीर सुमटों और भूमि-संपदा को साक्षात्‌ करता हुआ वह तक्षशिला में पहुंचा । उस समय महाराज बाहुबली सभा में बेठे थे। राजाज्ञा से प्रति- हारी ने दूत को वाहुवली के समक्ष उपस्थित किया | सहाराज बाहुबली की राजसभा, शारीरिक संपदा और संपन्‍्तता को देखकर वह ॒स्तब्ध सा रह गया । हाथ जोड़कर वह बाहुबली के समक्ष वैठ गया ।




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