राम कोश | Ram Kosh

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Ram Kosh by रामलाल - Ramlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ विश्वयोनिः परिपातु विश्वुतः , - नपस्‍तु् शिरुषयुम्ति चन्द्र चामर चारवे । '..परैल्लोक्य नाणरम्भ मूलस्तम्भायशम्भवे ॥ भ श्रीक्षण 71 1, ( अ्रकरोवासुदेवस्प ; 7116 ० क्षमा एप) अकड़ मद, श्रमिमान गा 1, अईकार, ५ गवे 78, चीद्वव 11, उद्धतता , 2(--नाओ्श्रहँक् 8 0, सर्व & 1. - भू 1. ए, श्रभिमन्‌ 4 8, भौदस आचर्‌ 19) (--वाज़नक्तगग & 2, ०, ' भामिमानैत्‌ 8.11, उद्धत & 1, 'अ्रकेय श्रकष्प & 1, अकपनीय & 1, वक्‍्तुमशक्‍्प & 1, श्रवचनीय 8 6, अकबर महत्तर & 2, महायस्‌ , भेयस्‌ , 'छ 18, : हू अकरा बहु मूल्य, महा मूल्य, & 1, , | महाहँ (पे) & 2, पक्ृत्त मत, बुद्धि, ई 4, प्रज्ञा. 1 2, / मेंगोषा | 1, शेमुपी 1 6,' अकस पंविनिग्य हि 1 ॥ गा 1, अति- ५ _ माया, अ्निगा $ भरतिमूर्ति [ 4, हु $ थ (बर--पअतिकूल 8 विरुद्ध & 1.) (--लेनाश्श्रालोकलेख्यंक 80, चित्र निमी 99, प्रतिच्छायां ग्रह, 0 ए), अक्रूसर प्रायसू, बहुपा, श्रनेकशस्‌, मूयोभूयस्‌ , श्रसकृत्‌, वारंवारं सुह- मुंह, 110, अकसीर रसायन, तेजोवद्धेन 71 1, आशु रोग हर ॥ 2, & 2, अकस्मात्‌ श्रकस्माव्‌ .दैवात्‌ , देवयोगात्‌ श्रसमर्थितं, यद्ष्छया, 807, अकारथ व्यय, निकल, निरवक, 9 1, बूथा। 807, अकाल दुर्भित्त 1 2, दुष्काल, नोवाक 177), प्रयाग 11 2, अकिन्न दर्धि 8 2, निर्धन भपन, & 1, अफीर्ति दुलर्ति अपकीति 14,चग्रतिष्ठा, बाच्यता ह 1, अपकर्ष 1 2, अपयशस, 1,




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