व्यापार संगठन | Vyaphar Sanghathan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
520
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व्यापारिक सफलताके आवश्यकीय साधन ]
मकारके विचार मजुष्यको घनवान बना देते हैं! ओर इसी प्रकारके
विचार उसका सारा व्यापार नष्ट कर देते है। एक प्राच्य विहुपी
बड़ी चिद्वर्ासे व्यापारिक खफलतापर . अत्यन्त उपयोगी विचार
कट. करती. हैं |: थे सफलताके लिये व्यापारमें इन वातोंका द्ोना
आवश्यक बताती हैं :-.....“# ह
(१) उसका इूढ़ निश्य द्वोता है, अतः सफलता उसकी
ग्रेर खि'चतो है हर ट हि
(२) बद अपने कार्यकी उन्नति और बृद्धिके लिये कोई भी.
कसर नहीं उठा रखता है और अपनी विचार-शक्तिको इधर
धरकी गौण बातोंसे नष्ट नहीं फरता है। ।]
, (३ ).चद् अपने कार्यसे प्रेम करता है। उसीमें प्रखत्त
ता. है और तत्सम्बन्धी प्रत्येक बातमें तन मन लगा देता है।
नेक छोग कहेंगे कि व्यापारिक . सफ़लताके ये कारण नहीं
त्युत छतकार्य द्वोनेके लिये,मजुप्यके अन्दर स्थामाविक विधा-
क क्षमता भौर एक विशेष दी्घट्ृष्टिका द्वोना आवश्यक है,
र ये शुण प्रत्येक मजुष्यको प्राप्त दो)नहीं सकते । जो मनुष्य
पनी वर्तमान अवस्थासे असंतु्ट है-ओर जो शुद्ध भावसे अपनी.
नतिका अभिछाषी है, उसफे पास सफलताकी प्राप्तिक्के लिये
ली ओर, हुढ़ निश्चय... और सफलताके मागमें . आानेवाली
येक बाधाको . पद्दूछित कर देने अथवा उसे चुच्छ समककर-
पर विशेष ध्यान देनेबाला टृढ़ संकल्प द्वोनां- चादिए अर्थात्
' आत्मविश्वास ्लोना,चा्दिएए। चुद जानेगा कि अपने अद्ृष्टका
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