व्यापार संगठन | Vyaphar Sanghathan

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Vyaphar Sanghathan by गौरीशंकर शुक्ल - Gaurishankar Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्यापारिक सफलताके आवश्यकीय साधन ] मकारके विचार मजुष्यको घनवान बना देते हैं! ओर इसी प्रकारके विचार उसका सारा व्यापार नष्ट कर देते है। एक प्राच्य विहुपी बड़ी चिद्वर्ासे व्यापारिक खफलतापर . अत्यन्त उपयोगी विचार कट. करती. हैं |: थे सफलताके लिये व्यापारमें इन वातोंका द्ोना आवश्यक बताती हैं :-.....“# ह (१) उसका इूढ़ निश्य द्वोता है, अतः सफलता उसकी ग्रेर खि'चतो है हर ट हि (२) बद अपने कार्यकी उन्नति और बृद्धिके लिये कोई भी. कसर नहीं उठा रखता है और अपनी विचार-शक्तिको इधर धरकी गौण बातोंसे नष्ट नहीं फरता है। ।] , (३ ).चद् अपने कार्यसे प्रेम करता है। उसीमें प्रखत्त ता. है और तत्सम्बन्धी प्रत्येक बातमें तन मन लगा देता है। नेक छोग कहेंगे कि व्यापारिक . सफ़लताके ये कारण नहीं त्युत छतकार्य द्वोनेके लिये,मजुप्यके अन्दर स्थामाविक विधा- क क्षमता भौर एक विशेष दी्घट्ृष्टिका द्वोना आवश्यक है, र ये शुण प्रत्येक मजुष्यको प्राप्त दो)नहीं सकते । जो मनुष्य पनी वर्तमान अवस्थासे असंतु्ट है-ओर जो शुद्ध भावसे अपनी. नतिका अभिछाषी है, उसफे पास सफलताकी प्राप्तिक्के लिये ली ओर, हुढ़ निश्चय... और सफलताके मागमें . आानेवाली येक बाधाको . पद्‌दूछित कर देने अथवा उसे चुच्छ समककर- पर विशेष ध्यान देनेबाला टृढ़ संकल्प द्वोनां- चादिए अर्थात्‌ ' आत्मविश्वास ्लोना,चा्दिएए। चुद जानेगा कि अपने अद्ृष्टका




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