पद्य प्रभा | Padhey Prabha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Padhey Prabha by हरिशंकर शर्मा - Harishanker Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरिशंकर शर्मा - Harishanker Sharma

Add Infomation AboutHarishanker Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ठुलसीदास सोरठा शंकर चाप जहाज सागर रघुघर बाहुबल। बूड़सु सकल समाज्ञ चढ़े जो प्रथमहिं मोहबस ॥ प्रभाती जागिये कृपानिधान जानिराय._ रामघन्द्र जननि कहे बार बार भोर भयों प्यारे। राजिव लोचन बिसाल प्रीति बापिका मराल कलित बदन कमल उपर मदन कोटि बारे॥ अरून उद्त बिगत सर्चरी ससाक किरनि दीन दीन दीप जोति मलिन दुति समूह सारे॥ सनद्ु शान घन अकास बीते सब भौ बिलास आस प्रास तिमिर्तोम तरनि तेज जारे॥ बोक्तत खग निफर मुखर मघुर करि प्रतीच सुनहू अवन प्रान जीवन धन मेरे सझुत प्यारे॥ मनहु, बेद बन्दी सझुनिवन्द सूत मभागधादि विरुद बदृत जय जय जय जयत कैटमारे / सुनत बचन प्रिय रसाल जागे अतिसय दयाक्ष भागे जंजाल भिपुल दुख फदस्व दारे। छघुलसिदास अति अनन्द देख के मुसारविन्द छूटे श्रम फन्‍द परम मन्द इन्द्र मारे २१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now