गुरु भक्ति योग | Guru Bhakti Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गुरुभक्तियोग . २५
गुरुभक्तियोग की साधना
२८. गुरुभक्तियोग का अर्थ है व्यक्तिगत भावनाओं,
इच्छाओं , समझ-बुद्धि एवं निश्चयात्मक बुद्धि के परिवर्तन द्वारा
अहोभाव को अनंत चेतना स्वरूप में परिणत करना ।
२९. गुरुभक्तियोग गुरुकृपा के द्वारा प्राप्त सचोट, सुन्दर
अनुशासन का मार्ग है।
वुरुभक्तियोग का महत्व
३०. कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग, राजयोग आदि सब
योगों की नींव गुरुभक्तियोग है ।
३१. जो मनुष्य गुरुभक्तियोग के मार्ग से विमुख- है वह
अज्ञान, अन्धकार एवं मृत्यु की परम्परा को प्राप्त होता
है।
३२. गुरुभक्तियोग का अभ्यास जीवन के परम ध्येय
की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है |
३३. गुरुभक्तियोग का अभ्यास सबके लिए खुल्ला है ।
सब महात्मा एवं विद्वान पुरुषों ने गुरुभक्तियोग के अभ्यास द्वारा
ही महान कार्य किये हैं। जैसे एकनाथ महाराज, पूरंणपोड़ा,
तोटकाचार्य, एकलव्य, शबरी, सहजोबाई आदि ।
३४. गुरुभक्तियोग में सब योग समाविष्ट हो जाते हैं ।
गुरुभक्तियोग के आश्रय के बिना अन्य कई योग, जिनका
आचरण अति कठिन है, उनका. सम्पूर्ण अभ्यास किसीसे
नहीं हो सकता ।
३५. गुरुभक्तियोग में आचार्य की “उपासना के द्वारा
गुरुकृपा की प्राप्ति को खूब महत्त्व दिया जाता है ।
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