गुरु भक्ति योग | Guru Bhakti Yoga

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Guru Bhakti Yoga by श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती - Shri Swami Shivanand Sarasvati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुरुभक्तियोग . २५ गुरुभक्तियोग की साधना २८. गुरुभक्तियोग का अर्थ है व्यक्तिगत भावनाओं, इच्छाओं , समझ-बुद्धि एवं निश्चयात्मक बुद्धि के परिवर्तन द्वारा अहोभाव को अनंत चेतना स्वरूप में परिणत करना । २९. गुरुभक्तियोग गुरुकृपा के द्वारा प्राप्त सचोट, सुन्दर अनुशासन का मार्ग है। वुरुभक्तियोग का महत्व ३०. कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग, राजयोग आदि सब योगों की नींव गुरुभक्तियोग है । ३१. जो मनुष्य गुरुभक्तियोग के मार्ग से विमुख- है वह अज्ञान, अन्धकार एवं मृत्यु की परम्परा को प्राप्त होता है। ३२. गुरुभक्तियोग का अभ्यास जीवन के परम ध्येय की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है | ३३. गुरुभक्तियोग का अभ्यास सबके लिए खुल्ला है । सब महात्मा एवं विद्वान पुरुषों ने गुरुभक्तियोग के अभ्यास द्वारा ही महान कार्य किये हैं। जैसे एकनाथ महाराज, पूरंणपोड़ा, तोटकाचार्य, एकलव्य, शबरी, सहजोबाई आदि । ३४. गुरुभक्तियोग में सब योग समाविष्ट हो जाते हैं । गुरुभक्तियोग के आश्रय के बिना अन्य कई योग, जिनका आचरण अति कठिन है, उनका. सम्पूर्ण अभ्यास किसीसे नहीं हो सकता । ३५. गुरुभक्तियोग में आचार्य की “उपासना के द्वारा गुरुकृपा की प्राप्ति को खूब महत्त्व दिया जाता है ।




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