खेल खिलाड़ी विश्वकोश | Khel Khilari Vishwakosh
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
417
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनोता सुद
एशिया में सबसे कम समय में इंग्लिश चंनल को पार करने का गौरव अनीता
सूद को प्राप्त है। उन्होंने इसे पार करने का 8 घंटे और 15 मिनट का एशियाई
रिकार्ड स्थापित किया। भारत में ते राकी की स्थिति, और परिस्थिति पर प्रकाश
डालते हुए अपने मीठे कड़_वे मिले-जुले भावों से उन्होंने कहा था :
भारत में तेराक बर्यों नहीं पत्प पाते --इसके पीछे कारणों का एक लंबा
सिलसिला है। अब से कुछ वर्ष पहले तक तो केवल तैराक, उनके परिवार जन था
मिन्र ही जानते थे कि फलां जगह पर प्रतियोगिता हो रही है | हालांकि अब
स्थिति सुघरी है लेकिन फिर भी सुधार, भ्रचार और प्रसार की काफी गुंजाइश
मौजूद है ।”
“हमारे यहां तरणतालों (स्त्रीमिग पुल) का जाल बिछा होना चाहिए था
कितु हैरानी की बात है न, कि हमारे यहां स्तरीय तरणतालों की संख्या 40-45
के करीब ही है । यदि किसी को तैराकी का शोक है तो पहले किसी क्लब से ही
संपर्क करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत और भी खराब है। वहाँ जोहड़ों
था ऐसे ही किसी स्थान पर तैराकी की पिपासा ध्रांत होती है।”
“अब तक मैं सामान्यतः पुरुष तैराकी का ही जिक्र कर रही थी। महिलाओं
के बारे में सोचें तो वहा भारतीय संस्कृति और सम्यता आड़े आ जाती है । हम
चाहे कितना ही आगे बढ़ गए हैं लेकिन यह एक सच्चाई है कि हमारे यहां भआाज
भी महिला को सौंदर्य (कोमलता) का ही रूप माना जाता है। तैराकी के लिए
भुजाओं के साथ-साय पूरे शरीर का बलिष्ठ और सौष्ठव होना जरूरी है कितु
भारत में कोई भी मां यह नहीं चाहती कि उसकी वेटी ऐसी “मर्दानगी' द्विखाए।
इसके अलावा सामान्यत: लड़कियां लज्जावश ते राकी में आने से कतराती हैं। और
फिर इस धारणा से भी तो छूटकारा पाना मुश्ठिकल है कि अंततः लड़की को शादी
करके धर पर ही बँठना है !”
“भारत में तैराकी के आधुनिक संसाधनों का भी नितांत अभाव है । प्रशिक्षण
के लिए प्रयोग की जाने वाली मशीनें दो दूर ते राकी के लिए ताल भी संयोजित
नहीं हैं जिनमें सभी तरह की सुविधाओं की कमी है ।”
बंबई निवासी और विले पारले स्थित सामना बाई नारसू स्कूल की 18
वर्षीया छात्रा अनीता सूद का भारतीय तैराकी में आयमन एक स्वॉणिम घटना है ।
साँवले रंग की 'साढ़े 5 फुट लंबी” छरहरे बदन की अनिता ने केवल 9 वर्ष 6 माह
की आयु में ही ते राकी के क्षेत्र में कदम रंखा था। पिछले 5 वर्षो में अदीता ने:
बेहिसाब सफलताएं हासिल की ।
इन तमाम सफलताओं के पीछे उसका दमखम और हौसला तो है ही, इन
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