दूसरे सूरज की तलाश | Dusare Sooraj Ki Talash

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Dusare Sooraj Ki Talash by नवीन पंछी - Naveen Panchi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पी ड़ जिजीविया साम वी सीमा वे पार पहुच जाप्रोगे हार बार मौत वे द्वार पहुँच जाप्राम मुक्तिपथ खोज रहे हो मुबितिवोध हा जाम्रागे जोश वा जनांजा निकल रहा है फिर भी पत्यरों बे सीने से प्यार दू ढ रहे हो प्रय की भ्रभिलापा में प्रथहीन हो रहे हो जिजीविपा वो जिदू पर फिर भी भरडे हुए हो रोशनी की चाह म धुभ्राँ-धुआ हो रहे हो पभ्जनवीपन से भाग ब'र अ्रपनापन दू ढ़ रह हो जान ब'ब से तुम अपने आप से दूर भाग रह हो । 23




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