मृग और तृष्णा | Mrig Aur Trishana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
782 KB
कुल पष्ठ :
119
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शब्दों के कठघरे से मुक्त
आवरणरहित
अर्थ का
सुगंध की बंधी हुई गाँठ
कोई आये तो मैं पुनर्जन्मकी सुगंध से
नहला दूँगा ।
ये मेरी नौकाएँ
न जाने कितने वाक्य तैरती हुई
मेरे पास आयी है
धृंधले और गहरे
आदिम धुंधलकों को पार कर ।
मेरे अहंकार के प्रकोष्ठ में
अस्तित्व के सारी गुणात्मक अभिव्णवित्तयाँ
शमित है
नया रूप पाने ।
काला इतिहासपुरुष और मै
हम दोनों यात्री है
बच्चों की
स्लेट की रेखाएँ
हमारे उलझे हुए रास्ते है
हम उलझते हुए
मंजिल ढूढ लेगे ।
पदचिहन छोड देंगे
किसी भी अपरिचित यात्री के लिए
जी चलने का निर्णय करेगा
चल देगा।
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