बंकिम निबंधावली | Bakim Nibandhawali

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Bakim Nibandhawali by पंडित रूप नारायण - Pandit Rupnaryen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्का सुप्रासेद्ध ग्रन्थ । चोवेका चिट्ठा | इस ग्रन्थके पाठसे पाठकोंको वंक्रिम बावूकी हास्यरसमयी अमृतस्यन्दिनी लेखनीका परिचय मिलेगा । यह उनके “ कमछाकान्तर ठफ्तर ” का हिन्दी अनुवाद हैं । इसमे “ चिदानन्द चोवे” नामक विद्वान भंग-भक्तके सब मिलाकर २० छेख ओर पत्र है । इनमे हँसी दिल्वणी ओर मनोरजनके साथ ऊँचेसे ऊेँच विपयोकी शिक्षा दी गई है । चौबेजी देशकी वर्तमान सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक वातोकी वडी ही चुभती हुईं ओर मर्मस्पर्णा आछोचना करते ह, पुराने और नये दोनो प्रकारके शिक्षितोको उनके वर्तावोके विपयम गहरी चुट- किया लेकर सचेत करते है, लेखकों, सम्पादकों, ढ्गयभक्ता, अँगरेजी सभ्यो और धर्मात्माओकी ऐसी बाते सुनाते ह कि सुनकर दंग हो जाना पड़ता है। कभी आप इसका पाठ करते करते रोने लगेंगे, कभी शोकसूचक सोंसे लेने लगेंगे, कभी आनन्दसे उन्मत्त हो उठेगे ओर कभी हँसते हँसते पेट पकड़ने लगेगे । विनोद ओर विवेक दोनोका इसमे विरुक्षण संयोग हैं । इसकी रचना काव्यके सम्पूर्ण गुणोसे परिपूर्ण हे । तीसरा संस्करण ज्ञीघ्र प्रक शित होगा । मू० ॥॥&) ---वंकिम वाबूने वडी खूबीसे इसमे सामाजिक वुराइयों दिखाई ह । कही कटी हास्यरसका चिलक्षण मिश्रण भी उन्हाने क्रिया है । अनुवादक महाशयने मूलकी खूबियोको रक्षा योग्यतापूवक की है। भापा सरल ओर छझुद्ध है । पुस्तक वडी मनोरजक है ओर साथ ही शिक्षादायक भी हैं। अच्छी छपी ह ।---सरस्चवती | --चोवेका चिद्रा जेसा चित्ताकर्षक हे वेसा ही उपयोगी भी है । इसमे सरलता और उपदेश दोनो है । पढनेसे ढेश ओर समाजबिपयक अनुभव वबढता है । इसकी शिक्षाये अप्रत्यक्ष होकर भी वडी ही मर्मस्पथिनी ह ओर यही इसकी मह्त्ता । पुस्तक सबंथा आदरणीय है । “भीोथलाधशरण शखुप्त । --यह आनन्द देनेमे उपन्यासोसे कम नहीं है। कही कही ऐसी गंभीर बाते लिखी हुई हैं जिन्हे पढकर बड़े बडे विद्वान्‌ चकित हो जाते है। यह अपनी वर्णन- शेलीसे सबका चित्त हरण कर सकती है । कई वार पढने पर भी पुस्तक नयी जसी मनोहर माढूम पड़ती है । | “-शिक्षा | यह हिन्दी-गन्य-रत्नाकर सीरीजका छठ्रा अ्न्ध है । सीरीजम अब तक ३७ अन्य नकल चुक हू । सूचापत्र मेंगाकर दखसिए मंनेजर-छिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकर कार्योाढु॑य, दीराबाग ४ पों० गिरगावनअम्वई ।




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