हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता | Hindustan Ki Purani Sabhyata

Book Image : हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता  - Hindustan Ki Purani Sabhyata

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बेनी प्रसाद - Beni Prasad

Add Infomation AboutBeni Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(५ जैन राजा खांरवेल का दाधीगुस्फा लेख है। पहिली ई० सदी के चाद झाँघर, क्षत्रप इत्यादि नरेशों के, चैाथी सदी के बाद गुप्त महा- राजाधिराजों के, और उसके बाद १९वीं सदी तक देश के प्रायः सब ही राजवंशों के शिलालेख, ताम्रपत्र इत्यादिं चहुतायत से ' मिलते हैं । बड्ढाल एशियाठिक खुसायठी, रायल पएशियादिक खुसा- यटी और उसकी बस्वई शाखा, एवं विहार श्र उड़ीसा रिसच खुलायटी की,पत्निकाओओं में, का पंस इंस्स क्रिपशनम्‌ इन्डिकेरम्‌, इन्डियन 'एल्डिक्चेरी और एपिग्रे फिया इन्डिका में पेसे हज़ार लेख बीसों विद्वानों ने सम्पादन करके अपनी टीका के साथ छपाये हैं । दक्खिन के लेख जो संख्या में श्र भी ज़्यादा हैं और जा १७ वीं सदी तक पहुंचते हैं पएपरि्राफ़िया कर्नाटिका, साउथ इन्डियन इन्सक्रिपशन्स शरीर मद्रास एपिग्रे फिस्ट्स रिप्रोट में भी प्रकाशित हुये हैं । इन लेखों से सैकड़ें राजाझों और महाराजाधिराजौ की तिथि श्र करनी मालूम पड़ती है, रालशासन का चित्र खिच ज्ञाता है और कमी २ समाज, आाधिंक स्थिति और साहित्य की बातों का भी पता लगता है । यहदी प्रयाजन खिक्कों और मुदरों से भी सिद्ध होता है जो ईं० “सन्‌ के प्रारंभ के लगभग से पज्ञाव, सिंध, सिक्के झौर सुदर .... मालवा इत्यादि प्रदेशों में मिलते हैं। कभी कसी तो यद्द सिक्के घार्मिक और सामाजिक समस्याओं को मानो चमत्कार से हल कर देते हैं । | सामाजिक और पर 4 तिद्दास के लिये पुरानी सूर्तियों और के एक मंद ध्वंसावशेष भी बहुत उपयोगी हैं । भवन भौर मूत्ति ... तस्शिला, सारनाथ, पाठलिपुत्र आादि को खोदू कर जो सक्ान, चरतन; मूर्ति चगैरद




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now