पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल | Prithvi Se Saptarshi Mandal

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Book Image : पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल   - Prithvi Se Saptarshi Mandal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका कुछ लोगों ने मेरी पुस्तक पढ़ी है। जिनको इस प्रकार समय नष्ट करने का अवसर नहीं मिला उनमे से भी कुछ ने सुन रखा हैँ कि में कभी-कभी लिखता हेँ। प्रसिद्धि यह हैँ कि मेरी लछेखनी राजनीति और दर्शन जेरे गम्भीर विषयों पर ही उठती है। अब में कहानी लिखने बंठा हूँ, इससे बहुतों को आइचर्य होगा। इस कहानी का छोटा-सा इतिहास है। उस इतिहास के ही कारण यह भूमिका लिखी जा रही हे, अन्यथा ऐसी पुस्तकों मे भूमिका के लिए स्थान नही होता। में कई मित्रों से यह कहता रहा हूँ कि हिन्दी मे सायस फिक्शन' (वैज्ञानिक कहानी) लिखने का अमी चलन नहीं हे और यह बहुत बड़ी बा्मी है। सायस फिक्शन' भी दो प्रकार का होता हैँ । साधा- रण कथानक रखकर उसमें कही बिजली का जिक्र कर दिया जाय या घटतास्थलू पृथ्रिबी से उठाकर किसी अन्य पिण्ड पर डाल दिया जाय तो यह्‌ वास्तविक वैज्ञानिक बाहानी नहीं हुई। इस विषय के जो अच्छे लेखक उनका उद्देश्य विज्ञान का प्रचार होता है। कहानी तो बहाना मात्र होती । इसलिए. कथानक बहुत थोडा होता है। लेखक कल्पना से काम तो लेता है परन्तु बेब सीमाओं के भीतर। उन्हीं बातो का चर्चा करता हे जो या तो आज, विज्ञान के प्रयोग मे आ चुकी है या विज्ञान की प्रगति को देखते हुए सौ-दो-सौ वर्षो में व्यवहार मे आ जायेंगी । जिसको विज्ञान सम्भव मानने लगा हैँ उसका ही उल्लेख किया जाता हूँ। ऐसे वाडमय की रचना के मार्ग में कई गहन कठिनाइयाँ उपस्थित होती हं। विज्ञान की गढ़ बातों को किस्सा-कह्मत्ती के ढंग पर कहना चुकर नहीं होता और यदि /31>» /3४5$




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