गद्य - भारती | Gadya Bhaaratii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बड़े भाई साहब १६
ईहवर का उससे बढ़कर सच्चा भवृत कोई है ही नहीं । अन्त में यह
हुआ कि स्वर्ग से नरक में ढकेल दिया गया | शाहे रूम ने भी एक
बार अहंकार किया था। भीख माँग-मॉग कर मर गया। तुमने
अभी केवल एक दर्जा पास किया है, और अभी से तुम्हारा सिर
फिर गया, तब तो तुम आगे बढ़ चुके । यह समझ लो क्रि ब्ुम
अपनी मेहनत से नहीं पास हुए, अन्धे के हाथ बटेर लग गई।
मगर बटेर केवल एक बार हाथ लग सकती है, बार-बार नही लग
सकती । कभी-कभी गुल्ली-डण्डे में भी अन्धा-चोट निशाना पड़
जाता है। इससे कोई सफल खिलाड़ी नहीं हो जाता। सफल
खिलाड़ी वह है जिसका कोई निशाना खाली न जाय । मेरे फेल होने
पर मत जाओ | मेरे दर्जे में आओगे, तो दाँतो पसीना आयेगा, जब
अलजबरा ओर जॉमेद्री के लोहे के चने चबाने पड़े गे, और इंग-
लिस्तान का इतिहास पढना पड़ेगा | बादशाहों के नाम याद रखना
आसान नहीं । आठ-आठ हेनरी हो गुजरे हैं। कौनसा काण्ड किस
हेनरी के समय में हुआ, क्या यह याद कर लेना आसान समभते
हो ? हेनरी सातवें की जगह हेनरी आठवाँ लिखा और सब नम्बर
गायब ! सफाचट ! सिफर भी न मिलेगा, सिफर भी ! हो किस
खपाल में ? दरजनों तो जेम्स हुए हैं, दरजनो विलियम, कोड़ियो
चाल्से ! दिमाग चक्कर खाने लगता है। आँधी रोग हो जाता है ।
इन अभागों को नाम भी न जुड़ते थे । एक ही नाम के पीछे दोयम,
सोयम, चहारम, पंचम लगाते चले गये । मुभसे पूछते तो दस लाख
नाम बतला देता | जामेट्री तो बस खुदा की पनाह ! अब ज की
जगह अजब लिख दिया तो सारे नम्बर कट गए। कोई इन
निर्देयी मुमतहिनों से नहीं पूछता कि प्राखिर अब ज और अज ब
में क्या फर्क है। और व्यर्थ' की बात के लिए क्यों छात्रों का खून
करते हैं? दाल-भात-रोटी खाई या भात-दाल-रोटी खाई, इसमें
क्या रखा है, मबर इन परीक्षकों को क्या परवाह वे तो वही देखते
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