श्री मनुस्मृति | Sri Manusmriti

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Sri Manusmriti by गिरजा शंकर - Girja Shankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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* निवेदन जे अंवुरणति? विविध अथभाणाना त्रीसमा पर्षना पद़ेधाः घुरत४३पे सं, १९८७भां असिद्ध ययेदी; ते भन्नास यर्ता जा गीकछ जाइत्ति असि६ थाप छे, पहेथ्वी जाइत्तिमां यूण स्तेद्ठी ण्ले तेवुं मात मार्पातर जपायु छतु, जा न्यारतिवु भाषांतर पधु सरण ने शे भांटे नवे- सरथी शास्त्री शिरूवशाइर भयाश8हर पासे तेयार उरष्यु छे सने उब्यूडनी टीडाना जाघारे स्थवेस्थगे पराषृवना समभध क्षुतापर्तु- जनेड नवां टिप्पषठ। 8मेरवा्भा जाया छे, जाम जा जारत्ति तइन नव स्वस्पे ०? गहार पे छे-खेरले खागवी जारत्ति मनी पासे ढे।य तेमने पथु जा नपी जाशतति चसापी लेवानी लद्चाभणु छे. हर गज रीते सुधाराषधारा उरवायी भाषांवर पणेरेने। भर्या तथा 9 सभाई उरता सुभारे १६० पानां क्‍यों छे; तेम * ढाथषनी “कमसल भेंधवारीना आरणु स्मानी डिमित जभाहउरतां तशुगणी 'राणुपी परे ओम हतु; परत खफ। घर्मना गणभत अंग; ब्स्तताते सरता भूहये भणपा ब्लेर्ठ मे ले हदेश क्षमा धर्षने गा नपी. आाइत्तितुं बहन मात्र इपिया साई यार रणाएुं छे. जी अयवी मद्तता विये खागवी जारतिना निवेध्नमां के €शीषत गशशविक्षी छ, तेमांनी 8प्येयी वाते। न्थदी नीये अपत्रणुभां जापी छे, ४7. « भवुस्वत्ति! जाषण्थनते जेब ललात आणशुवान अय छे. सेना सब विभागे।मा जाषसंसृतिते। भायक्ष अधाश छे, से भाव कप है शुष्ध विदत्तानु अध्शोन डरनारे। अय नयी, से मथुध्यणवन बचे छे, जा विश्वनी जने+ वीक्षान तपासे छे जने विधविष हिश्मामां बछ्धेता पढेशु। जे छे, थे पावाणगायानी जेण मेरे छे कते ले सौभांथो भाग८ मधुर अम्तध्शन भामी, जैधास (हजर 8पर इंष्टि स्थिर धघरावे छे. मान ते आपनने अद्याशुना पथे




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