रहीम सतसई | Rahim Satsai

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Rahim Satsai by विश्वम्भर - Vishvambhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| जी ही (३) रहिमम वेक्ति बड़े सम को, सधु स दीजिये डारि | छहाँ काम प्ाजे सुई, कहा करे तरबारि ४ (४) 'रहिमन प्रोष्ते सरत सो बेर भप्तो म प्रीति। काटे भ्ाटे स्वान के दोऊ साँति बिपरीति प्र” (५) “यप्ति कुदंग चाहत छुसस, यह रहीम मिय सोस | महिमा घटो समुद को राबरप बप्ते परोस है” इस प्रकार मह कहा था बक्ता है कि रहीम के दोहे द्वादौ की प्रमूश्य निशि हैँ! भपी विधिष्ट युणों के कारण उनके दोशे हिस्दी मीठिडामस्व की उबमे घुर्दर देश सादे था सकते हैँ । बह कारण है कि रहीम हिम्दी के लौति हार कवियों मैं सबते प्रत्रिक लोकप्रिय प्रौर ध्रप्रसौ हैं।




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