कहानी अनुभव और शिल्प | Kahani Anubhav Aur Shilap
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अूमिका श्र
जैनेद्ग इस शद की स्वीकार करते के पक्ष मे मही है । उनकी मायता
है कि कहानी अपनी विधा मे परिवततन करती रही है॥ किसी एक लीक पर
कहानी चले, ऐसी विवशता उसकी नही है । कितु वह एटी होकर स्टोरी, था
कुछ भी, साथकता प्राप्त करे, यह भी सभव नही है । हा अवहानी शब्द से
मार अथ निकल सकता है वह यह कि घटनाआ। में हठ पुवक सयोजन न हो,
यही ध्ायद ए.टी स्टोरी का आचय ही । आग्रह पूवक घटनाआ। को जुटाने और
प्नमे फिर तुक डालने के भी में विरुद्ध हूँ। सयोजना तो ठीक है, कितु
हृठपूवकता से किया गया सयोजन वहानी के स्वरूप को दबोचने बाला होता
है। इस सदभ में जनेद्र अपनी एक्वह्ानी को उदाह्वत करते हैं। उनकी 'इबके
हे प्ीपक कहानी सयोजनविहीन कहानी है। कथा का चौखटा कस कर किसी
संयोजन को यत्तपूवक उसमे नही रखा गया है। लेवित सयोजन के बाद वहानी
था वहाँ अभाव है ऐसा जनेद्ध नहीं मानते । उनका बहना है कि मुक्त मान-
ससिकता बे आगे यह बहाली एबं प्रदनचिक्न छोड जाती है। भर्पात आशय का
अभाव वहा प्रतीत नहीं होता और सयोजन ही कहानी को साथकता प्रदान
चरता है।
कहानी में गति ओर ह्पादन वी उपस्थिति वस्तुनिभर नही हीती ।
भाव वस्तु नहीं है । ऐसी अनेक कहानियाँ जनेद्व ने लिखी हैं जिनमे भाव ने ही
सस्तु का रूप ग्रहण कर लिया है| भूतवाली उनवी प्रसिद्ध कहानी म॑ वस्तु का
श्यपत ढाँचा नहीं है। विछु वह कहाती गतिनीलता से सफूल है, अत घटना
के भ्रभाव मं भी वह बहानी है। अक्हानी उमे नही कहां जाएगा जिस बहानी
मे घटना निभरता न हो, बया वह कहानी नहीं होगी। अग्रूर था छिलका पतला
होता है, लेकिन छिलका होता है। कहानी की घटना भी छिलके के सदृश ही
है जितना सूक्ष्म वह छिलका होगा अगूर उतना ही अच्दधा होगा। जैनेद्र बी मायता
है कि पहानी वस्तुत !ब्टाध का माध्यम नही लेती उसवा तो माध्यम दाब्द
बित्र है। मन में चित्र अकित हो जाता है ओर कहानी रुप धारण करती जाती
है। गाद वे अधभिवाय के साध्यम से विस्तार करना लेख या निवध लिखना
है । इसलिए अवहानी म॑ ध्ब्”विस्तार पयून और चिंत्राकन अधिक हो तो ठो
User Reviews
No Reviews | Add Yours...