हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन | Harshacharitha Ek Samskrutik Adhyayana

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Harshacharitha Ek Samskrutik Adhyayana by वासुदेवशरण अग्रवाल - Vasudeshran Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ब॒ | फलक २१५ चित्र ८९ (पु० १४८)-मोर के पंखों की भाँति का शेखर। अ्रदिच्छुच्ा से प्राप्त मिदझ्ठी की मृत्तियाँ, सं० २९३, २१२७ । चित्र ८२ (प्ु० १६०, १७२)--कार्दरंग देश के चमड़े की बनी हुईं दाले, छोटी चौरियों के घेरे से सशोभित । अदिच्छुच्ा मृण्मय मूत्ति संख्या १२३; देवगढ़ के मन्दिर से प्रास्मूत्ति पर ढाल की चौरिया अपेक्षाकृत बड़ी हैं । चित्र ८३ ( प्रू० १६१ )--महाह्वार (दोनों कन्धों पर फेला छुआ बड़ा हार)। अज॑ता- गुफा १ में वज््पाणि बोधिसत्त्व के चित्र में (ऑधक्ृृत अजंता, फलक ७८)। चित्र ८४७ ( प्रु० १६४)--वंठ (हाथी से लड़नेवाले पट्) )। अ्रद्दिच्छुत्ना से प्रात मिद्दी की मूर्ति, सं० २६१। फ्तलक २०२ चित्र ८५ ( प्रू० १७१ )--राजच्छुत्र, मोतियों के बने हुएए जाले का परिसर; चौरियों कौ किनारी और पंख फेलाये हुए हंस के अलंकरण से युक्त । ऑधघकृत श्रजंता, फलक ७६ भें छुत्र के नीचे मौक्तिक जाल-परिसर खगा हुआ है ओर किनारे पर छोटी चौरियों की गोट है। चित्र ८६ ( प्रु० १८१ )--शोकपट | मथुरा-संग्रह्मलय में सुरक्षित बुद्ध के परिनिवोण- दृश्य से । चित्र ८७ ( प्रू० १८६ )--कंटकित ककरी ( कटइल्ल॒ के फल-जेसी छोटी गगरी , जिसको जिल्‍्द पर छोटे काँटे है ) विना पत्तों की, अदिच्छुच् की खुदाई में प्राप्त | प्तों से ढकी हुई (इसके लिए. में अपने मित्र श्रीत्रजवासीलालजी सुपरिण्टेए्डेण्ट, पुरातत्व-विभाग का अनुश्दीत हूँ )। फ्लक २२४ चित्र ८८ ( प्रू० १८६ )--वोटकुट ( वोट नामक अम्रतबान ) अजंता-गुफा १ के चित्र से ( आंधघकृत अजंता, फलक रे६ )। चित्र ८ ( प्रू० १८८ )--गंडकुसूतल ( मिद्ी की गोल चकरियों को ऊपर नीचे जमाकर बना हुआ कुठिला या डेहरी । खेरागढ़ जिला बलिया के प्राचीन दूह से ( इस चित्र के स्विएए मैं सारनाथ-संग्रहा लय के क्यूरेटर श्रीअद्रीश बनर्जी का कृतज्ञ हूँ । चित्र &० ( प्रृ० १६० )--शबर-युवक का मस्तक अजंता, गुफा १ में द्रविडराज-नागराज चिन्न से । चित्र &१ ( पृ० १६४ )--चेत्य ( स्तूप ) मूर्तियों से अंकित पकाई मिद्दी की लाल मुहर ( पायलमुद्राचेत्यक मूर्ति )। भारत-कलाभवन-संग्रह से । चित्र 6२ ( प्रू० २०२ )--मोतियों की एकावली माला, जिसके बीच में नीलम को गुरिया है। (रंगीन फल्चक २४ )।




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