पंचतंत्र | Panchatantra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
426
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बढ के पह्चतच्चस् #& [१ मित्र
कच्च वाणिज्य सप्तविधमर्थागमाय स्थात्। तद्यधा-
(१ ) गान्धिकव्यवहारः (२ ) निश्लेपप्रवेशा ( हे ) गौप्ठिकक र्म
(४) परिचितश्नाहकाग़मः ( ५) मिथ्याक्रयकथन, (६) कूद-
चुलामानम्, (७ ) देशान्तराह़ाण्डानयनश्वेति । उक्तश्ष-
पण्यानां गान्धिक पण्यं, किमन्ये: काशख़नादिमि. ।
यत्रैंकेन था यत्कीत॑ तच्छतेन प्रदीयते ॥१श।
निक्षेपे पतिते हर्म्ये श्रेष्ठी स्तौति स्ववेबताम ।
निक्षेपी म्रियेते,-सुम्यं॑ प्रदास्याम्युपयाचितम् ॥18॥ _
न मन््ये>न श्रेष्ठ मन््ये ॥ £
पण्याना>विकेयवस्तूना, सग्रह >सघय । तदनन््य 5 कुसीदादि ॥ १३॥
आथागमाय-घधनलाभाय । गत्थ पण्यमस्य-्गान्धिर, तस्य व्यवहार
व्यवसाय , धातुरसापधसुमन्धदव्यादिविक्य इति यावत्। निमश्ेपप्रवेश -$सी*
दादिलेमेन परेदेत्ताना धनाना स्वनिरटे स्थापन । [ धरोहर रसना' दूसरे के
रुपए जमा करना आभूषण आदि रसक्र रुपए ऋण देना आदि ] । गेष्ठे
नियुत्तो गैष्टिक , तस्य कर्म । राजभाण्डागाराधिसरादिना-[ भण्दारी' मोदी
“बोहरा' ] गवाध्यक्षतया वा धनामम । परिचिताना-विरविश्वस्ताना । ग्राहया
णास्केतुणएम्। आप्गम--निरन््तर समागम | [ “नामी बनिया” ]। सिथ्या-
ऋ्रयक््थन>अत्पमृत्यस्य रम्रादेमिंथ्यीय मद्याघ्वख्यापन, विरुयथ । केचित्तु-
मिथ्यैय् क्रयार्थ आहकय्रोत्साहन, 'कयणीयमिद शौप्र॑ महर्घ भपिष्यती त्याहु ।
( शीघ्र सरीद लीजिए, अन्यथा यह महंगा हो जायगा! )।1
सप्तविधमवोंपाय॑ पथफ्प्रथयस्तीति-परण्यानासिति। कूट-क्पटघरित॑ त्ुटा-
मान॑-तुटामानसाधनादिय॑ । माने-वार्ट बटखरा' इति छोवे । ['दण्डी मारना
पास कम बटसरा रसना]। देझान्तराव- द्वीपान्तरादित , भाण्ठानथनन
विक्रेयदव्यानयनम् । ( बाहर से माल लाना, मंग्राना )। पष्याना>विसेयदमस्याणा
सच्चे, गान्थिस्-्सुगन्थिव्यर्म-पघादिकश [इच्र! आदि] पण्य। थ्रेष्टमिति रेप)
यश्षच्गान्थिकव्यवदारे, एवेन-रप्यकादिना, यव>वस्तु, क्रीलमानीसम, सन
इत्तेन-शतरूप्यक । प्रदीयते<प्राहकेस्य! इति शेप 0 १३
१ 'प्रियर्ता' 1
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