परिभाषेन्दुशेखराचें | Paribhashendushekharachen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
198 MB
कुल पष्ठ :
614
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिभाषासची पत्र,
...-७“ >कशीकान-
हद प्रथडशाप/८2५+तकवभधापफपदाधपापप: फवदााणदायमयााााा पाया पदक मपपकपाउाककत
प शल. परिभाषा. परिभाषाप्रकार-
१-शाखत्वसम्पादकप्रकरणम् ।
१. | ब्याख्यानतो विशेषम्नतिपत्तिन | स्वतन्त्र बाचनिकी. कांहीं टीकाकार म्हण- | १
हि सन्देहादलक्षणमू _ - [तात का ही जशापकसिद्ध देखील आहे व
अइउठणू! व् छण्! या दोन शिवसुत्रां-
तीर णकारद्यग्रहण हिचें ज्ञापक आह
२ | यथोदेश संज्ञापारिभाषम स्वृतन्त्रंवाचनिकी, किल्येकांच्या मर्तें। ३
| अपेक्षोपक्षाबुद्धिन्यायमूछक असल्यामुद्ें
४ कार्यकालं संज्ञापरिभाषम् याक्तारंद्ध दएखाल आहत
४ | अनेकान्ता अनुबन्धा हृति | लौकिकन्यायसिद्ध. यो ह्यवयवःस कदाचित् | १६
.. तन्रोपलभ्यते! या छोकिकन्यायानें सिद्ध, |
पण आष्यकारांनीं अ्रत्याख्यात केब्यामुद्ठें
स्वाकाराद नांहीं
७ | एकान्ताः लोकिकन्यायसिद्ध, “अनवयवो हि काका- १७
.__ | दिरेकजातीयसम्बन्धेन गृहवृक्षादिषृपलभ्यते
| वमयम्, या लोकिकन्यायानें सिद्ध.
8 नानुबन्धक्ृतमनेकाहृत्वस् शांपकसिद्ध ,अनेकालशित्सवेत्य? या सूत्र १८
-- तील “छितू' हैं पद हिचे शञापक आंहें,
७ | नानुबन्धकृतमनेजन्तत्वम॒ | शापकसिद्ध, “उदीचां माठे व्यतीहारें ! १९
| या सूत्रांतील “माड:? हैँ पद द्विचे ज्ञापक|
आहट
८ नानुबन्धकृतमसारूप्यसू.. | शापकसिद्ध, 'ददातिदधात्योविभाषा या। २१
| नल ह सुत्रांतील वेभाषा? हैं पद द्विचे ज्ञापक ।
| आह,
९६ |ड्यगतिरिह भवति | शापकसिद्ध, “संख्याया अतिशदन्तायाः? | २२
1 1 . था सुत्रांतील निषेध हिचा ज्ञापक जहै,. |
१० “कार्यमनुभवन् हि. कार्यी | श्ापकसिद्ध, “स्थण्डिलाब्छायतरिं? था। ३५
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