श्रीमद्वाल्मीकीयरामायणे | Shrimadvalmikiy Ramayane
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्थायी आहकोंकी आवश्यकता
है, इसलिए कि दुकानदार, छोटे-बढ़े, असिद्ध-अप्सिद्ध भाय; सभी हमसे आंधक-
से-अधिक कमीशन चाहते हैं। साधारण कमीशनपर वेचनेकों तैयार नहीं हैँ | इसलिए आपसे
निवेदन है कि आप इस माढाके स्थायी ग्राहक अवश्य द्न |
हमारी मालाकी प्रत्येक पुरतकका धूल्य एक झुपपेमें साधारण साइजुके ५१ ४५छ-
कै हिसावसे होता|है । स्थायी ग्राहकोंकों तो वह लगभग ७०० पएृछके पढ़ जाता हद
इस पुस्तक-मालाके आहक बननेफे नियम
१-एक रुपया प्रवेश-शुरक देकर भत्येक सज्जन स्थायी ग्राहक वन सकते हं। यह धुल्क
लौटाया नहीं जाता ।
२-स्थायी ग्राहकको मालछाको प्रत्येक पुस्तककी एक-एक प्रति पौने मूल्यमें मिलती है ।
३-मालाकी प्रत्येक पुरतक लेने, न लेनेका अधिकार ग्राहकोंको होगा । इसमें हमारा किसी
तरहका वन्धन नहीं है ।
४-पुश्तक प्रकाशित होनेपर उसके मूर्य, विषय आदिकी सूचना गआ्राहक्कोको दे दो
जायगी और उनका उचर् आनेपर पुस्तक घी० पी०से भेज दी जायगी.।
५-जिनलोगोंको. पुरतक.न लेनी हो, वे झचनापत्र पाते ही उच्र दें, बो० पी०
छोटानेसे उनके नाप ग्राहक-श्रेणीसे पृथक कर दिये जायेँगे | यदि वे पुनः नाम लिखाना
. चाहेंगे, तो बी० पी० खर्च देकर लिखा सकेंगे.।
नोद-ग्राहकोंको चाहिए कि सचनापत्रका उत्तर, चाहे पुस्तक मँगानी हो अथवा न मेँगानी
हो, अवश्य दे दिया करें और. प्रत्येक पत्रमें अपनी ग्राहक-संख्या अवश्य लिखा करें।
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