उपनयन पद्धति | Upnayan Paddatti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
147
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(०५८ ) उपनंयनपद्धति: ।
वत्ध पहनाता है॥ अम्पेनेद्राय इृहस्पति इस मंत्रसे
[ मंत्राथ जेसे- ] देवताओंका ग्रुरु बृहस्पति जिस
प्रकार यह बद्ध अमृत अर्थात् इत छिद्र दग्घता जीणे-
तादि दोप रहित यंह वस्ध॒ पहनाता सया तिस प्रकार
आयु चिरंकाल जीवन ओर बल सामथ्य तेज कांतिके
लिये दम तुमारेकी पहनाते हैं ॥ वद्ध पहनेके अनंतर
बालक ट्विवार आचमनकरे प्रमाण (याज्ञ स्वृ॒ति
अध्या० १ शोक ६६ ) “स्नात्वा पीत्वा क्षुते स॒पते
भुफत्वास्थ्योपर्ठपणे । आचांतःपुनराचामेद्रासो विप-
रिधाय च! अथीत् स्नान पान॑ क्षुत ( छींक ) शयन
भोजन वबाजारसे आकर भाचांतकृत पुरुष फिर आच-
मं करे भावाथे इनमें दोबार आचमन करना चाहिये॥
अनेंतर माणवक प्रवर सहश तिगुण मुंजकी मेखंलाकों
अंधि दे आचाये बालकके बंधन करे। इयंदुरुक्तं इस
मेत्र को बालक पढ़े ॥ विवि
* इयदुरुक परिवाधमाना वर्ण पवि:
पुनतीमआगात् । याणापानाभ्या बल-
मादधानास्वसादेवीसुभगामेखलेय४॥
॥१ ॥ » युवासुवासाः परिवीतःआगगा-
त् सउश्रेयान् भवति जायमान/तंघी-
रासः कवय उन्नय॑तिस्वाध्यो मनसांदे-
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