मध्यकालीन बनारस का इतिहास | History Of Banaras In Medieval. Period

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History Of Banaras In Medieval. Period by डॉ. हेरम्ब चतुर्वेदी - Dr. Heramb Chaturvediसचिन्द्र पाण्डेय - Sachindra Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुराणों में आये काशी के विवरण से कई बाते हमारे सामने आती है। काश्यों अर्थात काशीवासियो और हैहयो में बहुत समय तक युद्द होता रहा। काशी के राजवश मे दो दिवोदास हुए। प्रथम दिवोदास भीमरथ का पुत्र था दूसरा सुदेव का। दोनो दिवोदास के मध्य कम से कम तीन राजाओ ने राज्य किया। यथा अष्टरथ हर्यश्व और सुदेव ने काशी पर राज्य किया । प्रतर्दन दिवोदास द्वितीय के पुत्र थे। दिवोदास प्रथम ने दूसरी वाराणसी की स्थापना की थी। हैहयों और काशीपासियों के परस्पर सम्बन्ध इस बात के परिचायक है कि मध्य देश के राजा काशी पर नजर रखते थे। ११वी सदी मे राजा गांगेय देव द्वारा काशी पर अधिकार जमा लेना इसी तथ्य का पोषक है | महाभारत + लोन काशी व्यास की शतसाहस्त्री सहिता में काशी का कई जगह उल्लेख आया है। काशीराज की पुत्री सार्वसेनी का विवाह भरत दौष्यन्त से हुआ था। भीष्म ने काशीराज की तीन पुत्रियो अम्बा अम्बालिका और अबिका को स्वयवर मे अपने भाई विचित्रवीर्य के लिए जीता था। भीष्म द्वारा काशिराज सुबाहु पर विजय पाने का उल्लेख प्राप्त होता है। तथ्य यह स्पष्ट करते है कि काशिराज युधिष्ठतिर के मित्र थे | काशिराज द्वारा कुरुक्षेत्र के युद्द मे पाण्डवो की सहायता करने का विवरण प्राप्त होता है । काशिराज का युद्द क्षेत्र में सुवर्ण माल्य विभूषित घोड़ों पर चढ़ने तथा शैव्य के साथ उनका पांडव सेना के बीच ३० ००० रथो के साथ उपस्थित रहने का उल्लेख डा० मोतीचन्द्र काशी का इतिहास पूवोक्त पृ० २५ महाभारत एस०विष्णु सुकथानकार द्वारा सम्पादित भंडारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्सटीदच्यूट पूना १६३३ से१६५६ से उद्धत आदिपर्व अध्याय ६५ उद्योग पर्व १७२ /८/६४ सभा पर्व अ.३० उद्योग पर्व अ. ७२ द्रोण पर्व २२/ ३८. 12




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