श्री पंच प्रतिक्रमण सूत्र | Shri Panch Pratikraman Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
443
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्री पच प्रतिक्रमण सूत्र १३
करेपति भंते | सामाइये, सावज्ज जोर्ग पच्रकुखामि, जाव
नियम पज्जुवासामि, दुबिहर तिविहेण, मणेणं, वायाए,
काएण, न करेसि, न कारवेभि तस्स भेते ! पडिक्क्रमामि,
निदामि, गरिदाममि, अप्पाणं बोसिरामि- ( फिर )
इच्छामि ठामि काउस्सग्गं, जो मे राइओ अडआरो,कओ, .
काइओ, बाइओ, माणसिओ, उस्सुत्तो, उम्मग्गो, अकप्पो,
अकरणिज्जो, दुज्ञाओोे, दुव्येचितिओ, अणायारो, अफि-
चिछिअव्पो, असावंग पाउग्गो, नाणे, दंसणे, चरित्ताचरित्ते,
सुए, सामाइए, तिण्ह शुत्तीण, चउण्हं कसायाण, पंचण्ह मणु-
व्ययाण, तिए्इं शुणव्ययाण, चडण्हं सिकूखावयाण, वारसबि-
हस्स सावगधस्मस्स, ज॑ खण्डिअं, ज॑ पिराहिअं तस्स मिच्छामि
दुक्कडं ॥।
तस्स उत्तरी करणेण, पायच्छित्त करणेण, विसोही
करणेण, विसरली करणेण, पायाण कम्माण, निम्घा-
यगह्ाए ठामि काउस्सग्ग ॥८॥
अन्नत्थ ऊससिणण, निरासिएण खासिएण, छीएण,
जंभाइएण उड्ड॒ुएण, वायनिसग्गेण, भमलीए, पित्तमुच्छाए
(१७ सुहुमेहि अगसंचाले हि, सुहुपेहिं खेलसंचाले हि, सहु-
मेहि दिह्विसंचालेहि ॥२॥ एचमाइएहि आगारेहि, अभरग्गो
अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गो ॥३॥ जाव अरिदिताणं भग-
वेताण नम्॒क्कारेण न पारेमि ॥४॥ ताब कार्य ठाणेण मोणेण
आणेण अप्पाणं॑ बोसिरामि । 1]
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