श्री पंच प्रतिक्रमण सूत्र | Shri Panch Pratikraman Sutra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shri Panch Pratikraman Sutra by पारसमल प्रेमचंद - Parasmal Premchand

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पारसमल प्रेमचंद - Parasmal Premchand

Add Infomation AboutParasmal Premchand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्री पच प्रतिक्रमण सूत्र १३ करेपति भंते | सामाइये, सावज्ज जोर्ग पच्रकुखामि, जाव नियम पज्जुवासामि, दुबिहर तिविहेण, मणेणं, वायाए, काएण, न करेसि, न कारवेभि तस्स भेते ! पडिक्क्रमामि, निदामि, गरिदाममि, अप्पाणं बोसिरामि- ( फिर ) इच्छामि ठामि काउस्सग्गं, जो मे राइओ अडआरो,कओ, . काइओ, बाइओ, माणसिओ, उस्सुत्तो, उम्मग्गो, अकप्पो, अकरणिज्जो, दुज्ञाओोे, दुव्येचितिओ, अणायारो, अफि- चिछिअव्पो, असावंग पाउग्गो, नाणे, दंसणे, चरित्ताचरित्ते, सुए, सामाइए, तिण्ह शुत्तीण, चउण्हं कसायाण, पंचण्ह मणु- व्ययाण, तिए्इं शुणव्ययाण, चडण्हं सिकूखावयाण, वारसबि- हस्स सावगधस्मस्स, ज॑ खण्डिअं, ज॑ पिराहिअं तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥। तस्स उत्तरी करणेण, पायच्छित्त करणेण, विसोही करणेण, विसरली करणेण, पायाण कम्माण, निम्घा- यगह्ाए ठामि काउस्सग्ग ॥८॥ अन्नत्थ ऊससिणण, निरासिएण खासिएण, छीएण, जंभाइएण उड्ड॒ुएण, वायनिसग्गेण, भमलीए, पित्तमुच्छाए (१७ सुहुमेहि अगसंचाले हि, सुहुपेहिं खेलसंचाले हि, सहु- मेहि दिह्विसंचालेहि ॥२॥ एचमाइएहि आगारेहि, अभरग्गो अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गो ॥३॥ जाव अरिदिताणं भग- वेताण नम्॒क्कारेण न पारेमि ॥४॥ ताब कार्य ठाणेण मोणेण आणेण अप्पाणं॑ बोसिरामि । 1]




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now