अरबों के देश में | Arbo Ke Dhesh Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लेखक की अन्य रचनाएँ
औुछ सच हुछ मूठ (सब्ित्, पुरस्कृत)
पुस्तक में कितता सच है भौर खितना मूठ यह तो पदढकर ही जाताथा सकता '
है लेकिम हएले हास्म-साहिर्प से एक मई धैसी को जरमस दिया है । सभी संस्यरण
पत्यन्तर रोचक घोर ब्पंप्य गितोद से परिपूर्ण ह विस्माद कार्टूनिस्ट शिक्षार्थी के
थ्येष्प तिर्जों से पुस्तक में चार चांद सग गए ह। मूस्प ४००
'मेंने कहए ' (सच्चिष्त, पुरस्कृत )
प्विष्ट सामाजिक चुमते हुए ध्राहित्णिक घौर राजनैतिक ध्येम्प-मिनोर से
परिपूर्ण मौलिक नियंधों का सं पह है । इन मिवंधो का प्रगुवाद कई प्रादेष्चिक मायाभों
मे भौ हुप्रा है। विल्मात् कार्टूमकार थौ भ्हमर के सुर्दर स्वप्प-चित्र तिेधों के
समान द्वास्य की सृष्डि रुरते है | वूसरा ठंस्करणष । मूह्य १.९०
असे प्रा रहे है! (सघित्र पुरस्कृत)
इहपें प्यास थी की 'ठाप्ता' 'छत्तब्ार अृठा हुक़का प्राहि जौ तगीवठग
शोकप्रिप कविताएँ संप्रहौत है । प्ररक कविता के साथ प्रक््यात ध्प॑ष्प-चिजरकार
शबीरा के प्रगमोल ढार्टूम नौ दिए गए हैं। मूस्य ४००
“प्री पुनो/ (स्िश्र)
हि कविता में सिप्ट हस्प की परम्परा के जम्मदांता ध्यास थो ही है।
परजी मुतो उतकों प्रसित हवास्म-कमितापों का संप्रह है। य रचताएँ कूराचौ से
कतकरतते भौर काइमीर से कल्पाकुमारी शक बनता के दिश्ों मैं बर किए हुए है।
आया संस्करण ! मूस्य १.००
“हुमारे राष्ट्रपिता'
मो गांबौ बी पर प्तेक पुरतक शिखौ गई है लेकित उतके चौबन भौर रर्पत
को एक ही जगह संक्षेप में प्राकर्षक कणि-बाजी से स्पक्त करतेबासी महू प्रथम
प्राभालिक पुस्तक है। धाार्य विशोगामाज ते इसकी भूमिका प्रौर टेडन जी मे
इसके दो धम्द सिम है। यूछ | ४
कदम-कश्म बढ़ाए जा
इसमें प्रोजपूर्ण मापा यें स्वतग्भता-संद्रास का पराजसपूर्ण ऐदिहाहि बे
पस्तुत्त किया दया है। हिल्दी मैं बह बीर रधपूर्ण ख्इ-काम्य प्रपणी पए्परा ॥
एकइप मौलिक धौर राष्ट्रीय साबताप्रों सै प्ोत श्रोतहै।. मुध्य है१३
जआत्माराम एप संस, दिल्ली-६
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