कवि श्री माला तमिल | Kavi Shri Mala Tamil
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घर
५ सस्कुतमें भी रामायण हैं भौर तमिलमें भी हैं। तमिछ रामायभकी
रचना सस्कृत रामायणजके माध्ारपर ही इई है। दोनोंमें रामावतारबी ही कहारी है।
पर तमिक्त रामायथ सम्कृत रामायजस एक्डम भिन्न है। सबतारके सकक््कक््पसे रुकर
राम्याभिपेक्ष तककी प्रस्पेक घटनामें कम्शको कृति बास्मौकिकों कृतिसे भिन्न है।
व्वास्मीकि रामायथर्मे शिस रामका सामास्य मानबके श्पर्मे बसंत हुमा है, बह कम्ब
पामाबचमें आदि-मधण्याल्त-रहित परमात्माके रुपमें बमित है। जहाँ संक्त रामायणमें
सीता राबथ द्वारा ढेस पकड़कर उठाई मई अर्द अपमानित की गई बताई मई है, बहाँ
मिस रामायबरमें सती सीताको छूनेका साहस किमीमे नहीं था ऐसा बाधित हु
आाह्मीकि-रामायणमें शद्विस्पा जास-बुभकर अपना सठीत्य नप्ट करतबासी बताईँ
भई है। कम्बष्टी रामायचर्म बह निर्मरू मतबारी दोप-रहित-सती साम्दीके झपमें
“चित्रित हुई है। बास््मीकि रामासणर्म रतामरा सया है कि कब रूपप्मण सुप्रीबसे
सिम किप्किन्धा मए तब रामके हा्मों मृत्युप्राप्ठ बाशिकी पस्ती हारा मणपान करके
सुप्रीबक साथ कामबीड़ा कृतती बी। पर तमिरछ दशाभायत्रम बवाया यया है कि
जहो तारा रझश्मपका क्रोम पास्त करमके लिए बवैधध्यके सारे रप्षणोसे यूषाा होकर
भाई शोर उसको देखकर छक्ष्मणने सोचा-- हमारी माठाएँ भी मद (पिता इपरपके
रैहज्नद बाइ) एसी हो रहती होंगी । इस सर बाज़्मीकि रामायणका हुए पार
प्रोषस्पक्ता और मौजित्यक मनुसार ठमिसके संचेमें छारा यया हे।
तमिक्त भापाका पोपण केबद्ध राआा-महाराजाओंने ही सहौ बल्कि धार्मिक
'मझछों और मठ्यधीशोने भी किया है। एसे मर्ठोर्मेसे एक है ” छिदप्पनन्दारू काशीबासी
मर ”। तंडौर जिसेक द्िस्प्पनस्थारू नामक्ष गाँव यह मठ स्पित है । उस मठके
अशय मटाहोघ करौब सकहुशरके समयमें काणीसें जाकर रहते पे। इसप्निए उस
मेठका ” काप्तीबासौ मठ ” माम पड़ा। कहा जाता है कि उस मठ्घीमने काप्ीमें
ऊम्म रामापपणक॑ प्रदअनोंका प्रजन्त्र किया था औौर सम्भग हैँ. तुदसीहामपर उत
प्रबंँनोका प्रपाव पढ़ा ह। इसके छिए भ्रमागस्वरूप यह कहा जाता है कि मार्य
इम्पडइायमें विवाह या स्वयंबरके पूर्ण अर-बघूको कूबरू सांशब-विधाइमस मिलनेका---
एक दूसरेका इजनहय-अबसर मिलता हू। बाह्मीकि यमरायममें घनुप-यज्ञक पूर्व
सौता और हामके मिढनेका कौई बलस नहीं है। धबिड़ सम्प्रदायमें पहुले भायक-
शायिका एक दूसरका देखन ह-कप-गुणोसे मोहित हवाठे है श्लैर उसके दाइ विषाड-सूरमें
अपन है। बम्दत अपन देशाचारके अगुसार स्वपथ एक पूर्व ही राम सौर सौताको
परम्पर इधनदा मौछा दिया। तुरुसीद्ासस भौ राम और खीताका ऐसा सौदा दिया
है। उन्होंने साना गौर रामझो एक हूँ समय पृष्पजारिकामें पहुँचाया है। धुलूसी और
ऊम्मकी रामापजमें कई शग्प स्थानोंमें सौ बिशेष प्रद्वारकौ समानताएँ पाई जाती हैं।
यहाँ इस अर्ाम हमें मह्ी पड़ता है कि रम्बका सुरुसीपर प्रभाव पडा
भा या शही। इसनौ बात अबष्य है कि भास्मौकि कम्द छौए तुरूसौकी कृतियोका
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