संकल्प सिद्धि | Sankalp Siddhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विचार थया है ९ श्९ु्
व 5 5 तक 5 यम कपल उल
को उठाने को उद्यत होना तथा घनप्राप्ति विषयक युक्तियाँ और
चातुर्य का सपादन करना एवं दरिद्रता के विचार ऊिसी समय
भी मन में न आने देना--यही घन प्राप्ति का सरल साधन है !
विचारों के बल से ही रोग की निश्वत्ति और रोग की घृद्धि
भी होती है । उपयुक्त रीति से विचारों के द्वारा जैसे दरिद्रता दूर
को जाती है, वैसे द्वी नाना प्रकार के रोग भी विचारों से दूर किये
जा सकते हैं। इस रांग-निम्नत्ति का भी उपाय जानना चाहिए ,
वर्योकि जगत् में प्राय. सयर ही रोग-प्रसित हो रहे हैं। इसमें कई
रोग तो सामान्य औपधि से और कई स्वत ही निमृत्त हो जाते
हैं, इसलिए राग उत्पन्न करना और नष्ट करना हमारे ही द्वाय॑
में है, पर्योकि इंश्वर की इच्छा है कि सभ्र जीव नीरोग और सुखी
रहें। परन्तु, रोग मनुष्यों को भूल से होता है, इससे प्रथम भूल
को सुधारना चाहिए | उसका उपाय केवल शआरोग्यता के निचार
ही हैं। जब घर में लड़के बीमार पढ़ते हैं, तब्र ज्ियाँ रोग 'और
| भय के विचार अधिक फरती हैं, और उन विचारा से कितने ही
/ लड़के मर जाते हैं। मैंने खुद देखा है कि श्लियाँ लड़कों को रोग
/ से बचाने के लिए जितना उपाय करती हैं, उतनी जल्दो लड़ओे
4 अर जाते हैं, इसका कारण केबल उनके विचार ही हैं। थे सदा
/ ऐसे विचार करतो हैं कि अप्रुक सञ्री के चार लडझ दो वर्ष
/ में मर गये। अब पाँचवाँ हुआ है, उसकी भी वह बड़ी खयर-
५ दारी रखती है, तथापि वह बहुत ्ञीण हो गया हे, जीमे
/ की आशा नहीं, डाउटर ने तो जवाब दे दिया। यहाँ विचार,
# करने को बात 'है कि वह लड़का भी सातवें दिनः भर
४ गया । यदि यद्द पिचारों का ही प्रभाव हो तो ऐस। क्यों होता हे ९
है
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