हिन्दी सुभाषित | Hindi Shubhashit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : हिन्दी सुभाषित  - Hindi Shubhashit

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. रामरक्खामल - Pt. Ramrakkhamal

Add Infomation About. Pt. Ramrakkhamal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ड़ ( २५ ) तोभी होतीदेतव पूजा, कौन समर्थ आपसा दृजाः नमामि पेट नमामि पेट पेट० प्रात काल नीट खुलती जब,मनोउत्ति जागृत होती तत्र याद आपकऊी ही आजाती, शीघ्र दृष्टि हडी पर जाती नमामि पेट नमामि पेट पेट जन्मकालसे जीवन भर तक, उपाकालसे अर्द्ध सत्रि तक लेकर मनमें विविध वासना, करते सब नित तब उपासना नमामि पेट॑ नमामि पेंट पट० कर न जो नित तब आराधन, महा मूर्र पापी बह दुर्जन शीघ्र अवज्ना फल पाताहै,ऊुद दिन ही में मर जाता है नमामि पेट नमामि पेद पेंट० ज्ञगर्मं तब ऐसी है महिमा, ऐसे हैं प्रताप गुण गरिमा यड को पीपल कहना पडता, सालेझों प्रभु कहना पडता' नमामि पेट नमामि पेट पेट० कई आप हित ऐसे मरते, चमरा को सलाम नित क्रते। कई पीटले यश की भेसी,करते नीच हार पर फेरी नमामि पेंट नमामि पेट पट० तुम्ही दुसों से भेट कराते, तुम्ही अनेक चपेट सितातें -जड लेसिनी कह्दा तक गाने, जग जीवो की कौन चतापे यक्ष रक्त सिद्धादिक किन्नर, सुर तऊ भी रखते हैं. तव डर: नमामि पेट लमामि पट पट ०




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now