स्वामी दयानन्द सरस्वती का उपदेश | Swami Dayanand Saraswati Ka Updesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२३ )
दारदाचद्र-( अपनी वहू यानी ब्रह्मान॑दफी मांसे ) क्या
कहा 1 “ तु+हें क्या हो गया है ? !” जरा फिरतों क-
- हियो! (उठकर ) “बक बक झक झक छगाई है ”
कहते शरम नही आती ? ४“ कृछा ” रुस गई तो रुस
जाने दो और जज्मसाहव रुस जायेंगे तो वलासे ! (ब्र-
झानदसे ) ले वेठा ! लिख. ः
जह्मानन्द-हा आपाजी | लिखाओ !
आारदाचद्र- “ विधवा विवाह निराकरण, ”!
४ अनायेसमाज रहस्य, ”
# द्वेइमभा स्पर्ग्म दयानदियोंकी क्रिस्मवकरा फेसला, !!
“आंसुनाथका गष्प कुठार जमन्नाथका वज्र भहार,!
“दयानन्दक मतका खातम्रा.” “शगफा दयानंद.
४ द्यानन्दफी चद रगतें * “दियानन्द मत मर्दन/”
“दयानन्द मत परीषा ” “ढ्यानन्द पराजय ”
“दयानन्दकी बुद्धि ” ( सोचता हुआ )
औ-र-याठ आजा-आजा-आजा-आजा-हां आगया।!
“दयानन्दके मूल सिद्धातकी हानी.”
॥हयानन्द चरिन? “दयानन्द छीला«!
#द्यानन्द स्तोन,” “दयानन्दमत सुची«”
४ हयानन्दमत खड़न”-( इतने कहकर चुप होगये, )
।. अ्ह्मानन्द- क्यों आपाजी ! और के बस ?
. आरदाजचंद्र-अत्रे बसके बच्चे ! अभीतों इतने बाकी है जो
। लिखते लिखते... ! अभी आइ्दाराम सागर
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