स्वामी दयानन्द सरस्वती का उपदेश | Swami Dayanand Saraswati Ka Updesh

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Swami Dayanand Saraswati Ka Updesh by एम. वाई. मोक्षाकर - M. Y. Mokshakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(२३ ) दारदाचद्र-( अपनी वहू यानी ब्रह्मान॑दफी मांसे ) क्‍या कहा 1 “ तु+हें क्या हो गया है ? !” जरा फिरतों क- - हियो! (उठकर ) “बक बक झक झक छगाई है ” कहते शरम नही आती ? ४“ कृछा ” रुस गई तो रुस जाने दो और जज्मसाहव रुस जायेंगे तो वलासे ! (ब्र- झानदसे ) ले वेठा ! लिख. ः जह्मानन्द-हा आपाजी | लिखाओ ! आारदाचद्र- “ विधवा विवाह निराकरण, ”! ४ अनायेसमाज रहस्य, ” # द्वेइमभा स्पर्ग्म दयानदियोंकी क्रिस्मवकरा फेसला, !! “आंसुनाथका गष्प कुठार जमन्नाथका वज्र भहार,! “दयानन्दक मतका खातम्रा.” “शगफा दयानंद. ४ द्यानन्दफी चद रगतें * “दियानन्द मत मर्दन/” “दयानन्द मत परीषा ” “ढ्यानन्द पराजय ” “दयानन्दकी बुद्धि ” ( सोचता हुआ ) औ-र-याठ आजा-आजा-आजा-आजा-हां आगया।! “दयानन्दके मूल सिद्धातकी हानी.” ॥हयानन्द चरिन? “दयानन्द छीला«! #द्यानन्द स्तोन,” “दयानन्दमत सुची«” ४ हयानन्दमत खड़न”-( इतने कहकर चुप होगये, ) ।. अ्ह्मानन्द- क्यों आपाजी ! और के बस ? . आरदाजचंद्र-अत्रे बसके बच्चे ! अभीतों इतने बाकी है जो । लिखते लिखते... ! अभी आइ्दाराम सागर




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