चिकित्सा चन्द्रोदय भाग 6 | Chikitsha Chandrodaya Bhag 6

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Chikitsha Chandrodaya Bhag 6  by बाबू हरिदास वैध - Babu Haridas Vaidhya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाँसी के निदान लक्षण ] मुखकयात पोलाद देते हैं | ब्थागा २1३ रती हैडरेद श्राप सिलारस शहद, 1. #।. संसी के दस दिन दी पुगनी होने पर, जैतून का तैल ६ माशें, रोगन व ३ माथे झोर लौंग का तेल दो रद मिलाकर छाती पर मलने की राय दे भाक के फूलोंके जीरे में लॉग १ तोले, काली मिर्च १ त्तोले औौर सतफ्द कत्पा १ मिला-पीस और चने बरायर गोलियों बना कर चूसने से भी यर झआगम हो जाती है पित्तज खाँसी का वर्णन । +न्हग न निदान या कारण | ७७-३२०४७७--आ पित्त की खाँसी के निदान या कारण ये है -- (१) कडपे, गर्म, दाट्कारी, पद्टे, पारी पदाथ अधिफ खाना (२) आग और धूप जियादा सेवन करना। पित्तज खोसी के लक्षण । --+*-*७889- 6 पित्त की खाँसी होने से रोगी मे नीचे लिग्बे चिद्ठ पाये जाते हैं - (१) पाँसी आने से पीछा भौर घरपरा पित्त गिरता है भथय पीछा फफ आता है या पिच मिला कफ आता है 1 (६) आस, माख्यून, कफ ऑस्र चेहरा ये पीले हो जाते हे (३) मुँह का ज़ायका कड॒या या चरपरा सा हो ज्ञाता है। (४) घुखार चढ़ आता है या चुखार भायेगा , ऐसा भाट्म होता है । (० ) मुँह सूखा रहता है और प्यास पहुत रूगनी है। (६) ग्ग्मी चहुत मालूम होती है (७) कण्ठ या गले में जलन माछूम द्वोती है । (८) खाँसी के पेगफ्रे निरन्तर रहनेसे तारेसे चमकते दीपते हैं।




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