स्वास्थ्य शिक्षा | Swasthya Shiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ग
स्नान वहवा
मित्रावाइभमदर स्पेदकण्ड्यूपापइ्म ।
हु मछारए श्रेष्ठ सपेखिय विशोधमस्॥
सम्दा पापों पशमन सुप्टियं पु स््त्य यंघनम्।
रक्त प्रमादनचापि स्नाम मसग्नेश्ववीपनम् 1
-स्वास्प्प रक्षा
स्नान
५ र्थात् निद्रा, दाद, थफान, पस्रीनां, फाज-खुजल्ली
और प्यास के लिये समान दितकर है। स्नान
स्थास्थ्य को हित्तफर है। मैल दर करने घाले'
झुपायों में परमोक्तम है समस्त इम्द्रियाँ फो
शोधन करता है। स्नाम करने से चित्र भसन्न
४४०. होता है, पुरुषाधे चढ़ता है, सकशुरू धोता
है भौर भग्निदीप्ति होती है ।
सैंल मर्दन के पणश्यास् समान फी झायश्यकता होसी
है। गर्म जल में ठंडा मिला कर या डेंडे में गर्म मिस्ता कर
स्थान करना उचित नहीं। स्नान करते समय सृत्रैन्दिय को
, शीवल्ल जल से वार वार घोमा ठीफ है। कारण ऐसा करने से
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Gunu Sai
at 2023-05-20 12:40:16Gunu Sai
at 2023-05-20 00:11:21