शहीदों की टोली | Shahidon Ki Toli
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भुलाकर किया । अंगरेज स्त्री, बच्चों को अपने किले में शरण
दी, लगभग सौ आदमी भी मदद के लिये भेजे कितु-इन-सबसे
क्या हो सकता था, बलबाई जोर पकड़ते गए ।-उन््होंने, शिर[
ही अंगरेजों फो क्ररता के साथ बध किया और महारानी के
किले को घेर कर उनसे तीन लाख रुपये माँगे । रानी ने उन्हें
समझाया, प्र वे कब मानने बाले थे । रानी से रुपयों के लिये
आग्रह करने लगे । रानो फो सारने तक की धमकी देने लगे
और किले में आाग लगाने तक फो तैयार हो गये । तब तो
रानी को बहुत दुःख हुआ और उसने विवश होकर फोई उपाय
न देखकर अपने गहने दे दिये और क्रिसी तरह उनसे अपनी
जान उस समय छुड़ाई । अब झाँसी में अंगरेजों का कोई प्रभाव
न रह गया था और एक तरह शासन उठ सा ही गया था ।
बलबाइयों का आतंक तो चारों ओर छा हो गया था। कुछ
शास्ति मिलते पर रानी ने इस बलवे की सूचना सागर के
कमिश्नर को दी । अंगरेजों ने भी जब तक फोई अंगरेज झांसी
न पहुँचे तब तक के लिये रानी को ही झाँसी का शासन सौंप
दिया ।
ज्योंही रानी ने शासन की आागडोर सम्हालो, त्योंही
शिवराब ने झांसी पर आक्रमण किया । रानी के पास कोई भी
भाधन न थे। इस पर भी रानी ने जिस चतुरता से शत्रु पर
. विजय पाई; वह एक आश्चयें की बात थी । शिवराव अपना
सा मुंह लेकर लौट गया । इतने में ओरछा के दीवान नत्ये
जॉँ ने बोस हजार सवार लेकर हमला कर दिवा। रानी ने
जिठिश सरकार से सहायता चाही, पर सब व्यर्थ । नत्ये खां
, 'ह जोरों परथा। इस पर भी रानी ने हिम्मत न हारी।
अंकल.
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