राजस्थानी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास | Rajasthani Sahitya Ka Sankshipta Itihas

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Rajasthani Sahitya Ka Sankshipta Itihas by गोरधन सिंह शेखावत - Gordhan Singh Shekhawat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारम्म काल : 21 फ्ही गई हैं। इसकी भाषा सीधी-सरल है। लोक व्यवद्वार, सामान्य आचरण भर सद्गति के मार्ग को पाने के लिए सीधी उक्तियों से परिपूर्ण यह रखना काफी लोकप्रिय हुई है जीवदया रास--प्रस्तुत रचना जैन कवि आसगु द्वारा लिक्षित है। इसका रेचता काल संबत्‌ 1257 है जो इस रचना मे दिया हुमा है । इसमें कुल 53 पद्य है। ,मानव भन में करूणा झौर दया की भावना उत्पन्न करना तथा जीवों पर दमा करना इस रचना का मुक््य लक्ष्य है । इसमें जैन तीर्थों का भी वर्णव किया गया है । चन्वनबाला रास--यह पैतीस छंंदों का लधु खंडकाध्य है। इसफे रचनाकार भी प्रासग्रु है । इसकी कथानायिका जँने परम्परा में प्रसिद्ध सतियों में से एक-- चंदनबाला है जो घम्पानगरी के राजा दधिवाहन की पुत्री है । कहते हैं कि एक घार कोशाम्बी के राजा शतादीक ने चम्पातगरी एर प्ाक्रमण फिया जिसमें शतानीक फा- सेनापति चदनवाला का प्रपहरण करके ले गया और उसे एक सेठ को बेंच दिया । सेठ ने चदनयाला को अनेक कष्ट दियें लेकिन चदनवाला झपने सतीत्व पर अटल रही | परत में महावीर से दीक्षा लेकर मोक्ष को प्राप्त हुई । माव-सौन्‍्दर्य की ,इण्टि से यह मामिक एवं करूण रचना हे । ४ जम्बू स्वामो रास--प्रस्तुत रचना महेल्य सूरि के शिष्य धर्म ह्वारा संबतू 1266 में लिखी गईं । इसमें सुप्रसिद्ध जम्बू स्वामी की कथा को पद्यवद्ध किया है । इसमें कुल 41 पद्य हैं । पुरी कया मासिक एवं उपदेशमूलक है । नेमिनाथ बारहमासा और श्रावूरास-ये दोनों रचनाएँ पाल्हुएा कवि द्वारा लिखी हुई हैं | नेमिनाथ वारहमासा में 15 पद्य हैं श्र भावूरास मे 51 पद्म इन रचनाओी का रचना-फाल वि- से. 4289 है । जम्बू स्वामी की भांति जँन काव्य में मेमिताथ और राजमती का प्रेस प्रसग भी काफो प्रिय विषय रहा है। नेमिनाथ 23वें तीथंकर थे तथा महाराजा समुद्र विजय के पुत्र थे उनका विवाह उपग्नप्तेन की बेटी राजमती के साथ तय हुआ था 1 कहते है कि जब नेमिताथ ने शादी से पूर्व बारात के भोजन के लिए एकत्र पशुभों की करुण-पुकार सुन्री तो उनका हृदय द्रवित होगया और वे संसार त्याग कर तपस्या के लिए गरिरनार 'वले अये। बाद में राजमती की जब इस घटवा का पता लगा तो उसके दिल को ठेस लेगी भर उसते नेमिनाथ का अनुसरण करते हुए दीक्षा भ्रहण की। नेमिनाथ बारहमासा भारू-गुर्जर कविता का पहला बारहमासा है । + आवूरास! में मंत्री विमल झोर वस्तुपाल तेजपाल द्वारा आवबू पर्वत पर « बनाये गए जैन-मंदिरों का उल्लेख है । हल हज थे शास्तिनाथ देवरास--लदमी तिलक ने संवत्‌ 1313 में 'शाम्तिनाथ देव रास' की रचना फी थी | इस रचवा में जैनियों के 16 दें तीर्थकर शान्तिलाथ का जीवन ,




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