मेवाड़ मंजरी | Mewad Manjari

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Mewad Manjari by जगदीश चन्द्र - Jagdish Chandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनूठे उत्सव मोहक है मेवाड़ धरा के सब उत्सव - त्योहार, जीवन में उल्लास बढ़ाने आते वारम्बार । जन-जीवन में स्नेह जगाती आती है गणगौर, मस्ती भरे मनोरंजन की लेकर नई हिलोर । रंग-अवीर-गुलाल उड़ा कर खेला जाता फाग, थिरक-थिरक उठता पग-पत्र पर जीवन का ब्रनुराग । भूलों के श्रम्बार लगाती पुलकाती है तीज, प्रेमी हृदयों ने पाई हो जैसे दुर्लभ चीज । जहाँ अमावस्या हरियाली भरती नई उमंग, छवियों के बैभव को पाकर रहते है सब दंग । सेवाड़-मंजरी [17




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