श्री श्री सद्गुरुसंग | Shree Shree Sadguru Sangh
लेखक :
महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज - Mahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj,
लल्लिप्रसाद पाण्डेय - Lalliprasad Pandey
लल्लिप्रसाद पाण्डेय - Lalliprasad Pandey
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
124 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज - Mahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj
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लल्लिप्रसाद पाण्डेय - Lalliprasad Pandey
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकाशक का वक्तव्य.
“श्रीक्रीसद्गुरुसज्ञ' अन्थ का प्रथम खण्ड हिन्दी में अकाशित हो रहा है । बज्ञमाषा
में इसके पाँच खण्ड हैं। उनको भी हिन्दी में यथावसर अकाशित करने की इच्छा है । बा
बँगला में इसके पाँचों खण्डों का बहुत अचार हुआ है और वहाँ के समाज में इसका खासा...
हे आदर है। जिन विशेषज्ञ व्यक्तियों ने इस सम्पूर्ण अ्रन्थ को बँगला में पढ़ा है उन्होंने, हे
इसको मुक्तकण्ठ से अपूर्व असाम्प्रदायिक घर्मग्रन्थ माना है। अतएवं हमें विशेष आशा है
. कि इस पुस्तक को पढ़ने से सभी सम्प्रदायों के धर्मपिपासु जन तृप्ति और आनन्द आप्त करेंगे।
बी इस ग्रन्थ के अनुबादक पं० लड्कीप्रसाद पाण्डैय हिन्दी-साहित्य-जगत् में सुपरिचित
. हैं। इन्हें बल्ञमाषा की भी अभिज्ञता है। इन्हीं के उत्साह और उद्योग से हिन्दी भाषा...
में इस अन्थ का प्रचार सम्भव हुआ है। अन्थकार, स्वर्गीय श्री कुलदानन्द ब्रह्मचारी महाराज,
शिष्यमण्डली इनके प्रति ऋृतज्ञ है ।
जि महामहोपाध्याय. पण्डितवर श्रीयुक्त गोपीनाथ कविराज, एम० ए०, भूतपूर्व अध्यक्ष
..._ गवर्न मेंट संस्कृत कालेज, बनारस, कौ हम छोगों पर बड़ी कृपा है। उन्हेंने अनुबादक के
..._ द्वारा इस अन्थ के अजुवाद की व्यवस्था करवाकर हम छोगों पर विशेष रूप से अनुकम्पा
... प्रकट की है। इसके अतिरिक्त इस हिन्दी संस्करण के लिए “सुखबन्ध” लिखकर उन्होंने ४
रह ग्रन्थ की गौरव-इृद्धि की है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इसके लिए हम छोग उनके ऐ
का 1 हे निकद चिर गो है।
कलफता, | ४ 5 पंकोशक
चैत्र कृष्ण ११, सं० १६६४४ |... श्रोगोराज्उन्दरता....
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