श्री मुहम्मदबोध और काफिरबोध | Shri Muhamadbodh Aur Kabhirbodh

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Shri Muhamadbodh Aur Kabhirbodh by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७०० ) काफिरबोध । श्८ ताका साहेव मक्का वस्त। मक्रवन्तका साहेबअकिल मन्द अकिलमन्द अकिल सो जाना। मन झरीद दोस्ती दाना ॥ सहर गदाई कोन यार। सिर खुरदनी कोन यार॥ बन्दी खाने कोन यार। तख्त बादशाही कोन यार ॥ काया यार सिर खुदनी। दिल यार मार माही॥ जीव यार. बन्दी खाने।मन यार तख्त बादशाही ॥ मनलाल दिललाललालपोतदार। हमसाही हमसाहसाहपोतदार शत कवर साहब का वचन उचार वचार । अथा खांन मरहम्मद अढठा पादशाहका प्रबाध | कलिक कीमोक लिस रसमें की चशमें । खदयर संयम करदम । ओजूद राह चक्रित करदम । आवल-अई पीर है । मन मुरीद है। तन शहीद है। असल गदाई हे।तकबुर दुशमन है। गुस्सा हराम है। नफ्स शैतान है। चोरी लानती है | जवारी पलीदी है । अदब आदि है। बे आदब कम असल है । राह पीर है। वेराह बेपीर है । सांच विहिश्त है। झूठ दोजख है। मोमदिल पाक है । संगदिल नापाक है। हिस हेवान हे । बेहिसे वली है ॥ लाइ लुइ हरकत है। अचेतबेग़लाम है। असलजादे को सलाम है। कृतहीन जदंरू है। दाना जोहरी है। असलकी दोस्ती है। दाना शायर है । बूझ महवृब है । बन्दगी कब्॒ल है । अल्लाह नर है। आलम हद है। साहिब बेहद है । यकीन मुसलमान हे।शील रोजा है। शर्म सुन्नत है।इमान मुसलमान है। बेईमान बेदीन है। दिल दलील है। बाँग बलेल है। फकीरी सबूरी है । नासबूरी मकारी हे। दरोग द्वन्द है । हरि समझाता ।




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