हिन्दी साहित्य अभिघान | Hindi Sahitya Abhidhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). .: हिंन्दी जैन गजंट -...४. |
कलकता, शुद्यवार, पीप &०८वी ए सि० सं० २७११, ता० १६ दिसम्बर १६२४,दर्ष ३०, अहूं १०
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+ 1 -ह , समाक्ोचना | 7 ..
वुदत् जन शुब्दाशु व ;। ड़
रचयिता--श्रीयुत वा० विद्धरीछाल जी जेन चुलन्दशदर निवासी | धकरोशक-बा० | ५
॥ धांतिचन्द्र फैन, बाराबह्ली । आकार बड़ा; दाग्नज्ञ छपोई सफ़ाई आदि सभी उच्दम 1
! यह बहुत बड़ा ज्ञेनशब्द कोप अकरादि क्रम से लिखा जा रदा दे । दर्मे लमालोचनार्थ | '
जमी प्रास्प से २०८ पृष्ठ तक प्राप्त हुंआ है । इनमें केवल अकार पूर्वक प्वाब्दों का ही उरलेख ॥ , '
| है 1२०८ थें पृष्ठ में 'अशान-परीपद शब्द आया दै । जिस विभेयना शेलो और विपद्निख्पण (:,
| से इछ प्रन्थ का प्रापम्भ दीख रहा है उसे देख कंर अनुमान दोता है हि अभी वेचछ अकार
1 निर्दिए शाब्द दो कई सी पृष्ठ तक औए जायेंगे | फिर आकार, इकार आदि: निर्दिए शब्दों
। की बारी भी उसी विस्तार कम से आवेगी ।
इस अकार निर्दिष्ट शाबइ रचना से ही बहुत कुछ जैन शास्प्रों का रहस्य खुगमता से.
॥ ज्ञाना जा सकता दै। अक्षर स्वरूप, पद्ध्यात, अराक्षिक गणित, इतिद्वास, फर्मस्घरूप“निद्-
4 शान, भ्र॒ तबिस्तार, द्वाद्शांग रचना, स्वर्गादि लोक रंचना, ग्रुणस्थान निरूपण, पर्वों को ही
तिथिय्रों के भेद चिस्तार, चक्षुद॑शेंबादि उपयोग, अक्षीणादि ऋद्धियां इत्यादि अनेफ पदार्थों | ,
॥ का-स्परूप आदि बेबल एक 'अ! नियोजित दब्दसे जाने जाते हूँ । आगे जेले २ इस मद्दाग्नन्थ | -
॥ की रखना-दोगी उससे बहुत कुछ जैनघर्म निर्दिष्ट पदार्थों से एवं पुरातत्व विषयों का सूक्ष्म
| दृष्टि से परिष्षान द्वो सगा। ३० 7
८ इस प्रद्धार के ब्रत्य को जनखादित्य में बड़ी माये कमी थी जिसकी पूर्ति धपीट्रुत मा ।
“/( स्टर बिद्दारेलाल जी अपने असीम श्रम एवं चुद्धि विकाल से कर रहे है । यद रचना मास्टर ॥
साहब के अनेक घरों के मतनपुर्व रू स्दाध्याय का परिणाम है | इस महती कृति के छिये छेखफ
'“मद्दोद्य अतीद प्रद्यंता के पात्र है । उनफी यद्द कृति जनलमाज में दो आदर की डश्टि से 1
देखी दी जायगी साथ दी जैनेतर समाज भी उससे जनधम, का रहस्य समझ्नने में बहुत । -
बड़ी सद्दायता छेगा | की क ४
/
नसमस्त जैव बन्चुओं को चाहिये कि | इस कोप वे अचध्य मेंगावें। हर एक भाई
के लिये यह बड़े दाम क्री चस्नु है। --सद्दायक सम्पादक-
न अत-+-+++++ ०७४2२ ४४८३.४२०४थ२७७---
प्री हिन्दी'खाद्ित्याभिधान * 1.
2) - . टित्तीयाचयंध .
४ “संसद्धतदिदी व्यादरण-शब्दरत्ताकर |
(साक्षिप्तपद्चरंचना व फाव्यरचनासदित) | -
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थे हिन्दी साहित्यासिधान
चुदाोयाध्रयव
श्री सुदत् दिन्दी शब्दार्थ मद्रालागर
प्रथम खण्ड ६-८ !
: ज्वू० १), स्वव्पाध शानरत्नमाला के
धायी झादइकों को ॥) में '
सू० १), स्चस्पाघ पघानरत्नमाला दें
स्थायी झादकों को बिना छल्य
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