योगासनों से इलाज़ | Yogasanon Se Elaj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
147
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पूरी तरह शरीर के साथ सटी रहे। सिर, यर्दन तथा
दोनो
कधो पर सारे शरीर का भार आ जाए। ठाँगें
बिल्कुल सीधी रहे, घुटनों से मोडिए नहीं। दोनों
पैरो को मिलाइए, पैरो के अ्रगूठो को नाक की सीध
रखिए।
लाभ--१
२
३
इस आसन से शरीर का रक्त शुद्ध होता है ।
दिल और फेफडे (1.05४5) मजबूत होते है ।
फंफडो के रोग धीरे-घीरे दूर होने लगते है।
पिर, आँखो तथा दिमाग को शवित प्राप्त होती
है। श्रांखो की ज्योति बढती है । सिरददं दूर
होता है
चात-रोग दूर होते है, खूब मे कोई खराबी भा
गई हो तो मिट जाती है।
इससे पाण्डु रोग (पीलिया, 3720०४/०४) जाता
रहता है।
पाचन-शक्ति बढती है, पेट के रोग दूर होते
हैं, साया-पीया पचने लगता है। पेट की गैस
का कष्ट समाप्त हो जाता है ।
७ गले में स्थित थायराइड तथा पिट्युटरी नामक
नलिका-विहीन ग्रन्थियो को पोपण तथा उत्ते-
जना प्राप्त होती है, जिससे इन ग्रन्थियों से
अधिक हारमोन्स निकलते है शोर शरीर में
चुस्ती, फुर्तो, शक्ति आती हैं । इसे 'नवयोवन
का दाता झासन' वहना चाहिए
विशेष--इस श्रासन को दस सैकड से एक मिनट तक
योगासगो
वीजिए ।
से इवाज सर
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