योगासनों से इलाज़ | Yogasanon Se Elaj

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Yogasanon Se Elaj by डॉ॰ समरसेन - Dr॰ Samarsen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूरी तरह शरीर के साथ सटी रहे। सिर, यर्दन तथा दोनो कधो पर सारे शरीर का भार आ जाए। ठाँगें बिल्कुल सीधी रहे, घुटनों से मोडिए नहीं। दोनों पैरो को मिलाइए, पैरो के अ्रगूठो को नाक की सीध रखिए। लाभ--१ २ ३ इस आसन से शरीर का रक्त शुद्ध होता है । दिल और फेफडे (1.05४5) मजबूत होते है । फंफडो के रोग धीरे-घीरे दूर होने लगते है। पिर, आँखो तथा दिमाग को शवित प्राप्त होती है। श्रांखो की ज्योति बढती है । सिरददं दूर होता है चात-रोग दूर होते है, खूब मे कोई खराबी भा गई हो तो मिट जाती है। इससे पाण्डु रोग (पीलिया, 3720०४/०४) जाता रहता है। पाचन-शक्ति बढती है, पेट के रोग दूर होते हैं, साया-पीया पचने लगता है। पेट की गैस का कष्ट समाप्त हो जाता है । ७ गले में स्थित थायराइड तथा पिट्युटरी नामक नलिका-विहीन ग्रन्थियो को पोपण तथा उत्ते- जना प्राप्त होती है, जिससे इन ग्रन्थियों से अधिक हारमोन्स निकलते है शोर शरीर में चुस्ती, फुर्तो, शक्ति आती हैं । इसे 'नवयोवन का दाता झासन' वहना चाहिए विशेष--इस श्रासन को दस सैकड से एक मिनट तक योगासगो वीजिए । से इवाज सर




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