अलंकार सर्वस्वभ | Alankara Sarvaswabh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
835
श्रेणी :
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निर्णयसागर संस्करण
वाधोत्पत्तावषि
परश्चादृविरोधधीः
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व्याजोक्ती चत्वार: प्रकारा
विद्यन्ते
अश्रस्तुतातु कारणात् प्रस्तुतस्य
कार्य॑स्य
कार्य प्रस्तुते कारणस्या०
सारूष्येण साधम्योदाह-
रणामां
वाक्येनेति निश्चिनुमः
संपद्धरण
निपेधस्थेव भासनातु
तत्र रूपाय विशेषधिवक्षा
प्रस्थापन
विभावादीनां
कारणमालातनां
आधिक्यमुक्तम्
तस्मादस्मिश्च वर्धमाने
सारोपान्तर्भावमेति न पुनरिदमन्त-
भूत सारे परिमितविषये महाविपय
मित्याइ्यक्तमेवोक्तम्
इक्टदाभासेव
तच्छब्दस्यापि
वैचित्यावहत्वाच्छब्दस्यापि
१८४ तरिद्पस्थ चाघ्यस्य
प्रस्तुत संस्करण
बावोत्पत्ति,, अपितु
परचादविरोधघी:
सम्बद्धत्वा ०
नायिकानिशयो:
साहद्यापयंबसाव्यपछुच
व्याजीक्तो चोत्तरः
प्रकारों विद्चत्त
अप्रस्तुतात् कार्यातु
प्रस्तुतस्य कारणस्य ३५५
कारणे प्रस्तुते कार्यस्य ३५६
पृष्ठ
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इ७४
साथम्येंण सारूप्यो-
दाहरणानां इ्प९
वाक्येन [ अतिदेश |
इति निदिचनुमः.. ३०६९
संपद्वरण ४०१
नियेधस्थावभासनातु ४३५
तत्र पुनरुपायविज्ञेपष ४१९
प्रस्थान ५१९
विभाववादीयां प्र
कारणानों भ्र्श
भाविक्यमिति
वर्धमानमुक्तम्
तस्माई-अध्मिस्च
वर्धमाने सारोप्न्वर्भाव-
मैति न पुनरिदमन्त-
सृंद्ं सारे परिमितविषये
महाविपयमित्या-
थयुक्तमे वोक्तम्
हकू स्वाभासेव
तच्छाब्दस्थापि
वेचित्यावहत्वाब्छा-
ब्दस्यापि #४ए
लिरूपस्थ साधतस्य हररे
३५
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