सोहन काव्य कथा मञ्जरी भाग 10 | Sohan Kvya Katha Manjari Bhag 10
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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गाकों भी के आज सिलाओ
केारोगर यहां त्ञाओ जी ॥|
' वात पयभाई |
॥ अपना ईजी।,
काम सब ही ही! जाये ,
रके कली) पहाँ पर आय जी |,
हैई वहां व हलवाई हैं. आये
की सौरप पहेँ दिशा छाये जी
जा हल लेकर जाय |
अब सबको ही ठहराय जी ॥
वहां अति पृन्दर न द्यिः बेठाय
! पास कै पेह जाय जी) 1
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हू वहां लगाये जी ॥|
पृष को परोस कर जाय |
मग्रिठ सबको वह रख जाय जी |
ये स्वर पह पत्र के) करे न देर
3 वियां गई हैं देखे वार फेर जी) है
बने अब सोचे कितनी नार |
हें आ रहा कहां कस रेप वार जी।
पति रैपके पक्ष पर इत विया डर;
जाये कहां में जार जी ॥
ही या ई इजी पार ।
पारी वही आ हर बार जी ॥
गापषित क्ग ले महल में आय |
नारी देखी नि लगाये जी ॥
वे; सिरे एक की जार |
पासने आती ९ ह* कार जी |,
कः पार वह ने जाय ।
जी देओ वनाय जो |,
जिन्दा पहीं बन क्रय ।
पहीं वापित पह उतलाय जी |
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