लेफ्टिनेंट | Leftinenth

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Leftinenth by अज़ीम बेग चराताई - Azim Beg Charatai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २७५ ) “जानतो दा. एट्ट दिया, कि खाक * अ्रस्छा बताओ, तुम क्या मानो, मला [” मैं ज््याणादूँ यहलो मैंनएंजानूँगी, लेप्रिटनेन्से के मारे में तो कौन जानेगा लगा रक्‍््सी हे लेफ्टनेट, लेफ्टनेट यह मूँछ दादो दो मूँ झे पहले ।” पूछ दाढ़ा पे “यह मूँछ दाढ़ी लेफ्टिनेन्ट पे क्च होतो है ! मुद़वाद्ों न ।” “क्यों, मुंडवारऊ !”? “शझर लफ्टोट बन जाओगे !? “इससे क्या द्ोता है?” #यह लो । लेफ्टिने ट को मूँछ दादो रसो फा हुस्म कहाँ है! तान खून उसे भार द्ोते हैँ | गोरों का धड़ा कप्तान होता है. मैं सब जानती हूँ।” £ क्या बकती दो १ तीन सूप भाष ! रिलकुल गलत | जाने क्सिने तुम से उड़ा दी है। खून मी शिसी को माप दो सकते हैं ! ग्िलकुल गलत 7! ४ यद लो, लेक्टयिट बनने चले हैं, श्रमी इतमा भी नहीं जानते 1” “माफ दोते हैं | अभी कल ही की बात दे, दीना का ससुर 17 + श्रे, वद्दी दाना ( डाक्टरनी से ) !” है “अरे, वह कल्लू का दामाद न [? “ग्रे, हो वही, कल्एू निगोड़ा | लेक्रिटनेंट क यहाँ कुलियों में जो काम करता था। मार डाला लेक्िटनेंट.ने ।




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