हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता | Hindustan Ki Purani Sabhyata

Book Image : हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता  - Hindustan Ki Purani Sabhyata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८ 2 ब्ेलपसूदी, अल इदरीसी इत्यादि अरबों ने नवीं शरीर दसवीं सदी मे ._ हिन्दुस्तान का कुछ दाल लिखा ।. शदेवीं सदी में चचनामा श्र्थात्‌ ' तारीरा हिन्द वा सिंघ की रचना हुई जिसमें ८वीं सदी की लिखी हुई बहुत सी बाते' शामिल कर ली गई। ११वीं सदी में पंजाब सौर खिल्‍्ध पर हमला करके मददसूद ग़ज़नवी ने हिन्दुस्तान का दर्वाज़ा उतर पच्छिम वालों के लिये फिर खोछ दिया। उसके दर्बार का एक विद्वान्‌ अल्बेरूनी हिल्‍्डुस्तान आकर खंस्त का पूरा पंडित दो गया । उसने हिन्दू धर्म, साहित्य, विज्ञान इत्यादि का ऐसा चित्र खींचा जैसा पहिले किसी के .ख़याल में भी न. श्ाया था | उसके बाद झौर सुखलमान तारीख़ों में भी कहीं २. हिन्दू सभ्यता की कुछ बातों का जिक्र झागया है । श्रीक, लैटिन, चीनी दौर ध्ारब ग्रस्थो का बहुत सा अनुवाद अंग्रेजी के द्वारा हिन्दी में भी हो चुका है । हर इस तमाम सामग्री के झाघार पर इतिहास लिखने के पद्चिले सभ्यता के क्षेत्र पर एक नज़र डालना... _भूगारू का असर... जुरूरी है। पशिया महाद्वीप के दक्खिन में एक ........हिन्दुस्तान कोई -१८४० मील - लम्बा, श्ौर ३८०० मील चौड़ा देश. है जिसके रकृबा ( चर्मा को छोड़ कर ) लगभग १५७ लाख वग मील: है। पर यह याद रखना चाहिये कि उत्तर की ओर -नैपाल, अफगानिस्तान शऔर मध्य एशिया कुछ . हिस्सा . और, दक्खिन की « झोर . लंका. भी' हिन्दू _ ख्यता के दायरे में शामिल, थे ।. दूखरे, फ़ारस बलों 'चिह्तान, -सिंघ. और राजपूताने का रेगिस्तान पहिले इतना _............... बड़ा न था जितना कि झाज है। झारेल ....... इत्तरपच्छिम ... स्टाइन वरौरह ने जुमीन खोद कर बालू के रत पनीचेसे जो शहर और मकान निकाले. हैं चह




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