निराला रचनावली - २ | Nirala Rachnawali-2
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.11 MB
कुल पष्ठ :
498
श्रेणी :
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No Information available about श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कविताएँ (1939-949)
पहुला दौर
प्रेम-संगीत
जन-जन के जीवन के सुन्दर
सुन्दर हे, सुन्दर !
तुम्हे चाहता वह भी सुन्दर
रानी और कानी
उन चरणों में मुझे दो शरण
दलित जन पर करो करुणा
भाव जो छलके पदों पर
बापू के प्रति
भगवान् बुद्ध के प्रति
मासको डायेलाग्स
धूलि मे तुम मुझे भर दो
तुम और मैं
गादरणीय प्रसादजी के प्रति
गर्म पकौड़ी
मैं अकेला
मैं बैठा था पथ पर
श्रद्धांजलि
कुकुरमुत्ता
खजोहरा
नूपुर के सुर मन्द रहे
बादल छाये
उद्वोधन
अज्ञता
रफटिक-शिला
तुम आये
गहन है यह अन्घ कारा
द्रुम-दल शोभी फूल्ल नयन ये
खेल
सन्त कवि रविंदासजी के प्रति
सहस्राब्दि
29
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67
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डे
76
76
7
78
78
क्रय
अखिल-भारतवर्पीय
महिला-सम्मेलन की सभानेत्री
श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित
के प्रति 82
घेर लिया जीवों को *** 83
स्नेह-निझर वह गया है 84
मत्त है जो प्राण 84
सरण को जिसने वरा है 85
जननि मोहमयी तमिख्रा 6
तुम्ही हो शक्ति ससुदय की 86
यह है बाजार 87
भारत ही जीवन-घन 88
युग-प्रवर्तिका श्रीमती महादेवी
वर्मा के प्रति 89
स्वामी प्रेमानन्दजी सहाराज 89
जवाहरलाल ! 104
गया अँघेरा 105
स्नेह-मन तुम्हारे नयत बसे 106
नाम था प्रभात ज्ञान का साथी 106
मेरे घर के पदिचिम ओर रहती है 107
सड़क के किनारे दुकान है 107
निज्ा का यह स्प्दं बीतल 108
तुम चले ही गये प्रियतम 109
चूँकि यहाँ दाना है 109
जलाशय के किनारे कुहरी थी. 110
दूसरा दौर
तिलांजलि 113
पाँचक 113
माँख भाँख का काँटा हो गयी. 116
खुद्न-खबरी 117
दाशी वे थे, शद-लॉंछन 117
जीवन-प्रदीप चेतन तुमसे
हुआ हमारा 118
क्रम/ 17
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