भगवतीचरण वर्मा रचनावली - 1 | Bhagwaticharan Verma Rachnavali - 1

Book Image : भगवतीचरण वर्मा रचनावली - 1 - Bhagwaticharan Verma Rachnavali - 1

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

Add Infomation AboutDheerendra Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बात तो ठीक कहेव अबे मार लिया मैदान खूब बात सूझी । देख घर मां गंगाजल की जो बोतल है तो चार बूँद गंगाजल दारू मां लीन्हेव। गंगाजल से सब कुछ सुद्ध हुइ जात है। घसीटे हँस पड़ा वाह मुंसी मान गएन तुम्हार ख़ुपड़िया और चवननी उठाकर घसीटे बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठे हुए दो-चार आदमियों को पानी पिलाने चला गया । मुंशी शिवलाल ने दोहरा खाया और उसके बाद मुवक्किल-रूपी शिकार की तलाश में टहलने लगे। इसी समय कलक्टर का चपरासी चन्दनसिंह दौड़ता हुआ आया और उसने मुंशी शिवलाले से कहा मुंसीजी हम तुम्हें न जाने कब से ढूँढ़ रहे हन साहेब तुम्हें अबहीं याद कीन्हिन हैं । साहेब का नाम सुनते ही मुंशी शिवलाल का चेहरा पीला पड़ गया । ठाकुर भूपसिंह के इस्तग़ासे में मुंशी शिवलाल ने जो करामात दिखलाई थी साहेब कहीं उससे नाराज़ तो नहीं हो गए चन्दनसिंह ने मुंशी शिवलाल की घबराहट ताड़ ली उसने मुंशी शिवलाल को धीरज बैंधाते हुए कहा डरै की कौनो बात नाहीं है मुंसीजी साहेब पेसकार साहेब से हैंस-हैँसके बतियाय रहे हैं तुम पर नाराज़ नाहीं हैं। मुंशी शिवलाल ने ऐंठकर कहा और अगर नाराजौ हुइ जाएँ तो हमार का बिगाड़ सकत हैं ईमानदारी के साथ मेहनत की रोटी खाते हैं और राम-नाम का भजन करते हैं। कलक्टर अपने चैम्बर में बैठा हुआ पेशकार से उस दिन के अर्ज़ी-दावों को सुन रहा था और उन पर अपना हुक्म लिखता जाता था। उसने मुंशी शिवलाल को देखते ही कहा वेल मुंशी तुम बड़ा चलता-पुरज़ा आदमी है। हुजूर का इक़बाल है कौन-सी ख़ता हो गई इस नाचीज़ से ? मुंशी शिवलाल कलक्टर ने पेशकार से भूपसिंह का इस्तग़ासा निकलवाते हुए कहा ठाकुर को बनिया ने पीटा और साँड ने बनिया को पटक दिया। बड़ा खूबसूरत लतीफ़ा है। तुम समझता है हम इस बात पर यक्नीन कर लेगा ? ठीक-ठीक बतलाओ क्या मामला है ? वैसे हमने इस पर पुलिस की इनक्वायरी का हुक्म दे दिया है। गला साफ़ करते हुए मुंशी शिवलाल ने कहा हुजूर जान बख्ों तो अर्ज़ करूँ । कलक्टर उस दिन अच्छे मूड में था मुस्कराते हुए कहा अच्छा हमने तुमको माफ़ किया लेकिन सच-सच बोलना-झूठ एक लफ़्ज नहीं। हुजूर यह मैकूलाल बड़ा पाजी आदमी है। सैकड़ों किसानों को इसने तबाह कर दिया है। इससे क्र्ज़ लेकर कभी कोई उरिन तो हुआ नहीं । ओह तो यह मैकूलाल महाजन बनिया है--अब हम समझा तब तो यह वाकई बड़ा पाजी और बेईमान होगा। हाँ फिर क्या हुआ ? वही कह रहा हूँ हुजूर तो यह भूपसिंह सीधा-सादा किसान है लेकिन नातजुर्बेकार। यह मैकूलाल के चंगुल में फँस गया। अभी तक मैकूलाल इससे असल 12/ भगक्तीचरण वर्मा रघनाकली-1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now