मज्झिम - निकाय | Majjhima Nikaya
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.17 MB
कुल पष्ठ :
690
श्रेणी :
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No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मूमिक बुदके मूज सिंडान्त ं बुडके उपदेक्ोंके समझनेमें सहापता मिलेंगी बदि पाठक डुद्के इन सूफ वार सिंदों | न्तॉ-लीन अस्वीकारास्सक और एक स्वीकारार्मक--को पहले जान छू । दे चार स्स्टिस्स _ है थेहै-- (1) ईखरकों नहीं सालला सन्चलां समुप्य स्वयं सपना भाखिक हैं --इस सिंद्ान्तका _ / चिरोंध होगा । ही (. २.) लार्माकों नित्य महीं सानना अस्यथा नित्य एक रु भाननेपर उसकी परिथुद्ध . . शौर सुक्तिके लिए गुंजाइया नहीं रहेगी । | (३) किसी प्स्यकों स्त/ प्रमाण महीं सामता/ लन्चया बुद्धि खोर सलुमवको प्रानाणि- |... ( ह ) ल्लॉवन-प्रदाहकों इसी शरीर तक परिभित में साननां लग्यया जीवन सौर उसकी ।.. विधिशताएँ कांसंकारण निमससे उत्पन्न ले दोफर सिर्फ आाफस्मिक घदनाएँ बह जायेगी । । बोद चमंमें चार बातें सर्वभान्य हैं । इन बार बातापर इस यहाँ अकग वियार करते हैं । (है) इंबरकों बे मानसा | इंधरघादी कहते दैं-- दूँकि दर एक कार्यकां कारण होता हैं इसक्िगें संसारकां मौं कोई ी कारण होगा वाहिप लौर बह कारण हअर हैं--सैकिन प्रम किया जा सकता है--नुंजर फिस | | प्रकारका कारण है है क्या उपादानत्कारण जैसे घड़ेका कारण मिट्टी कुंडलका सुवर्ण यदि ईखर | कुख- दुख दुया-बूरता देखों जातों हे वह सभी ईचरसे और इंचरमसें है । फिर तो इंचर खुखलयकी अपेक्षा दुः भव स्रचिफ है बयोंकि दुनियामें दुःखकां पक्तता मारी है । ईश्वर दयाखुफी अवेंक्षा कूर । जअधिक है क्योंकि दुतिमालें चारों तरफ़ शुरताफा राज्य हैं। संदि बनस्पतिकों जॉक्यारी न मी माना जा तो मीं सुझ्मवीज्षणस व्यय कोटगुबोंसे सेकर कोपें-मकोंदे पंस्ीं रूदली साँघ छिपकली शीदर मेहिया सिंह-ब्याघ्र सम्प-ऊसम्य मनुस्य--समभी एक-बूसरेके जीवनके धाइक | मैं । घ्यानसे देखनेपर ृश्या-संदरेय सारा हो जगत शक रोमाचिकारी युडछेत्र है जिसमें वित्त प्राणी यह पाढिले देकर ६४. के विशाल भारत में रूखन्लपसे निकली था । | ड़. ||
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